Friday 8 May 2015

आकाश मिसाइल, मेक इन इंडिया की मिसाल (जाहिद खान)

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी डीआरडीओ, बीडीएल और सेना की अन्य एजेंसियों के अनेक वैज्ञानिकों की तीन दशकों की मेहनत आखिरकार रंग लाई है। जमीन से हवा में मार करने वाली पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित सुपरसोनिक मिसाइल ‘‘आकाश’ भारतीय सेना में शामिल हो गई है। यह मिसाइल हवाई हमलों के खिलाफ देश के लिए एक बड़े सुरक्षा हथियार के रूप में काम करेगी। मिसाइल की क्षमता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इससे दुश्मन के लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर और ड्रोन विमानों को पलक झपकते गिराया जा सकता है। दुश्मन के विमानों को यह मिसाइल 25 किमी दूर से अपना निशाना बना सकती है। आकाश अस्त्र पण्राली की पहली खेप भारतीय थल सेना को सौंप दी गई है और जल्द ही सीमावर्ती इलाकों में इसकी तैनाती भी हो जाएगी। ये मिसाइलें 1970 के दशक में लाई गई मिसाइलों का स्थान लेंगी। आकाश मिसाइल के भारतीय सेना में शामिल होने से निश्चित तौर पर हमारी सेना में एक नया आत्मविास जागेगा। देश की सुरक्षा पहले से और भी ज्यादा अभेद्य होगी। आकाश मिसाइल, डीआरडीओ द्वारा साल 1984 में शुरू किए गए एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम की पांच मूल मिसाइल पण्रालियों में से एक है। अस्त्र पण्राली का डिजाइन और विकास पूरी तरह से डीआरडीओ द्वारा किया गया है। एक और सरकारी उपक्रम भारत इलेक्ट्रॉनिक और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड आकाश अस्त्र पण्राली का प्रमुख समाकलक है। आकाश मिसाइल की कार्यपण्राली और इसके फीचर आज भले ही सभी को अचंभित करते हों, लेकिन इस मिसाइल को सपने से हकीकत में बदलना आसान नहीं था। मिसाइल निर्माण में तीन दशक से ज्यादा समय लग गया। वैज्ञानिकों के सामने इस दौरान बहुत-सी चुनौतियां, कई उतार-चढ़ाव और बाधाएं आई। पर वे अपने लक्ष्य से बिल्कुल नहीं डिगे। और अंत में उन्होंने मंजिल पा ही ली।। आकाश मिसाइल के देश में बनने से न केवल इसकी लागत तीन गुना कम आई है, बल्कि इसमें फेरबदल और सुधार करने के लिए किसी दूसरे देश पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। इस अनोखी और बेहतरीन मिसाइल की संचार व्यवस्था पूरी तरह सुरक्षित और अभेद्य है। आकाश मिसाइल की सबसे अच्छी बात, इसका अपना ऑटोमेटेड इलेक्ट्रिकल पावर सिस्टम है। 96 फीसद स्वदेशी यह पण्राली सभी मौसमों में एक साथ, एक से अधिक लक्ष्यों को साधने में सक्षम है। यही नहीं, यह मिसाइल सेना को छोटी दूरी के मिसाइल का समग्र कवर उपलब्ध करवाने में भी सक्षम है। पूरी तरह ऑटोमेटिक इस मिसाइल सिस्टम को रेल या सड़क के जरिये कहीं भी लाया-ले जाया जा सकता है। आकाश मिसाइल का वजन 720 किलोग्राम और लंबाई पौने छह मीटर है। मिसाइल एक साथ आठ लक्ष्यों को भेद सकती है। इसकी स्पीड 660 मीटर प्रति सेकेंड है। आकाश अस्त्र पण्राली, मिसाइल को उसके लक्ष्यों के बारे में दिशा-निर्देश देने के लिए परिष्कृत रडारों और नियंतण्रपण्रालियों पर निर्भर है। पण्राली कुछ इस तरह से काम करती है- आकाश अस्त्र पण्राली में सबसे पहले री डी सेंट्रल एक्विजिशन रडार सौ किमी दूर से ही दुश्मन के विमान की टोह ले लेते हैं और इसकी जानकारी फौरन ग्राउंड कंट्रोल सिस्टम को देते हैं। जानकारी मिलते ही 3 से 10 सेकेंड के बीच मिसाइलों को अलर्ट कर दिया जाता है। इसके बाद इंतजार शुरू होता है दुश्मन विमान के 25 किमी के रेंज में आने का। जैसे ही दुश्मन विमान रेंज में आता है, आकाश मिसाइल उसे ढेर कर देती है। गौरतलब है कि भारतीय वायु सेना के पास आकाश मिसाइल पहले से ही है। साल 2012 में डीआरडीओ ने आकाश मिसाइल का हवा से जमीन पर मार करने वाला संस्करण वायु सेना को सौंपा था। थल सेना को सौंपे जाने वाला आकाश मिसाइल का प्रारूप चलायमान है, जो वाहनों पर लगा होता है। आज के समय में देश की सुरक्षा के लिए सरकार और सेना, दोनों को कई मोर्चो पर एक साथ जूझना पड़ता है। हवाई सुरक्षा की जहां तक बात है, इसके लिए सीमाओं पर सिर्फ विमान और हेलीकॉप्टर की तैनाती को ही काफी नहीं माना जा सकता। अब वायु सुरक्षा पहले से कहीं ज्यादा गतिशील और चुनौतीपूर्ण हो गई है। यदि हमारे पास प्रभावी आधुनिकतम वायु रक्षा अस्त्र पण्राली होगी, तो हम दुश्मन के हमलों का भी बेहतरी से मुकाबला कर सकेंगे। आकाश मिसाइलें, सैन्य वायु रक्षा कोर के लिए खास प्रोत्साहन का काम करेंगी। यह कोर वर्षो से पुराने वायु रक्षा हथियारों के साथ काम कर रही है। आकाश के शामिल होने के बाद, अब जाकर उनके सुरक्षा हथियारों में इजाफा हुआ है। भारतीय सेना ने डीआरडीओ को शुरुआत में छह फायरिंग बैटरियों के साथ दो आकाश रेजीमेंट का ऑर्डर दिया है। सैकड़ों मिसाइलों वाले इस ऑर्डर की कुल कीमत लगभग बीस हजार करोड़ रपए है। डीआरडीओ का कहना है कि पहली पूर्ण रेजीमेंट इसी साल जून-जुलाई तक और दूसरी रेजीमेंट साल 2016 के आखिर तक तैयार हो जाएगी। आकाश रेजीमेंट के शामिल होने के बाद न सिर्फ सेना के विभिन्न दस्ते मजबूत होंगे, बल्कि देश के अन्य महत्वपूर्ण ठिकानों की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सकेगी।आकाश अस्त्र पण्राली और आकाश मिसाइल के साथ हमारी सेना को जो जबर्दस्त क्षमता हासिल हुई है, वह सैन्य बल की दीगर कमियों को दूर करेगी। देा के ऊपर आसमान से आने वाले किसी भी खतरे को रोक पाने में भारतीय सेना के सैन्य वायु सुरक्षा कोर पहले से और भी ज्यादा सक्षम होंगे। इस मिसाइल को शामिल कर भारतीय सेना ने मुकम्मल आत्म सुरक्षा की ओर एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया है। देश को सचमुच एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। इस बेमिसाल उपलब्धि के लिए डीआरडीओ सबसे ज्यादा तारीफ का हकदार है। वह तारीफ का इसलिए भी हकदार है, क्योंकि उसके द्वारा देश में विकसित की गई अन्य अस्त्र पण्रालियों की तुलना में आकाश मिसाइल की तकनीक पूरी तरह से स्वदेशी है। एक लिहाज से देखा जाए तो आकाश अस्त्र पण्राली और आकाश मिसाइल ‘‘मेक इन इंडिया’ सिद्धांत के मुताबिक है। इस पण्राली और मिसाइल पर हम इसलिए भी गर्व कर सकते हैं कि यह विश्वस्तरीय समकालीन अस्त्र पण्राली है। थाईलैंड और बेलारूस जैसे कई देशों का आका मिसाइल में दिलचस्पी लेना इसी बात का परिचायक है।

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