Tuesday 21 April 2015

भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपना अप्रैल 2015 का मासिक बुलेटिन

भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपना अप्रैल 2015 का मासिक बुलेटिन जारी किया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपने मासिक बुलेटिन का अप्रैल 2015 अंक जारी किया। इस बुलेटिन में वर्ष 2015-16 के लिए पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति पर गवर्नर का वक्तव्य, मौद्रिक नीति रिपोर्ट-अप्रैल 2015 और शीर्ष प्रबंध तंत्र के भाषण तथा वर्तमान सांख्यिकी शामिल है। इसमें दो आलेख – 1. गैर-सरकारी गैर-वित्तीय सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियों का वित्त, 2013-14 और 2. भारत का विदेशी व्यापारः 2014-15 (अप्रैल-दिसंबर) भी शामिल हैं।
1. गैर-सरकारी गैर-वित्तीय सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियों का वित्त, 2013-14
यह आलेख अप्रैल 2013 से मार्च 2014 तक की अवधि के दौरान 4,388 चयनित गैर-सरकारी गैर-वित्तीय (एनजीएनएफ) सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियों के लेखापरीक्षित वार्षिक लेखों के आधार पर उनका वित्तीय निष्पादन प्रस्तुत करता है।
प्रमुख निष्कर्ष:
वर्ष 2013-14 में चयनित एनजीएपएफ सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियों के समग्र परिणामों ने वर्ष 2012-13 के परिणामों की तुलना में प्रमुख मानदंडों की वृद्धि दर में नरमी दर्शाई।
बिक्रि वृद्धि के मामले में ‘निर्माण’ क्षेत्र, विनिर्माण क्षेत्र में ‘सीमेंट और सीमेंट उत्पाद’, ‘मोटर वाहन और अन्य परिवहन उपकरण’ उद्योग तथा सेवा क्षेत्र में ‘माल ढुलाई और भंडारण’ तथा ‘स्थावर-संपदा’ उद्योग सबसे अधिक प्रभावित हुए।
वर्ष 2013-14 में ब्याज, कर, अवमूल्यन और परिशोधन पूर्व अर्जन की वृद्धि में गिरावट आई। निवल लाभ भी वर्ष 2013-14 में कम हो गया।
वर्ष 2013-14 में अधिकांश खंडों में लाभ मार्जिन और इक्विटी पर प्रतिलाभ में गिरावट आई।
इस अध्ययन अवधि के दौरान चयनित कंपनियों का लीवरेज़ अनुपात बढ़ता रहा जबकि ब्याज कवरेज़ अनुपात में कमी आई। माल ढुलाई उद्योग ब्याज कवरेज़ अनुपात एक से कम रहते हुए यह उच्च लीवरेज़ उद्योग रहा। वर्ष 2013-14 में चीनी उद्योग वाली कंपनियों का लीवरेज़ अनुपात उच्च रहा और ब्याज कवरेज़ अनुपात में भारी गिरावट हुई।
वर्ष 2013-14 में कंपनियों द्वारा बाह्य स्रोतों से प्राप्त की गई निधियों में वृद्धि हुई।
स्थायी आस्ति निर्माण के लिए प्रयुक्त निधियों की हिस्सेदारी कम रही जबकि गैर-चालूनिवेश पिछले वर्ष की तुलना में अधिक रहा।
2. भारत का विदेशी व्यापारः 2014-15 (अप्रैल-दिसंबर)
मुख्य-मुख्य बातें:
निर्यात वृद्धि अप्रैल-दिसंबर 2013 के 6.6 प्रतिशत से घटकर अप्रैल-दिसंबर 2014 में 4.0 प्रतिशत हो गई।
तुलनात्मक भारित योगदान के मामले में अभियांत्रिकी माल और तैयार वस्त्रों ने निर्यात वृद्धि में सबसे अधिक योगदान दिया। लौह-अयस्क, तेल खाद्य पदार्थ और इलेक्ट्रॉनिक सामान का नकारात्मक योगदान रहा।
यद्यपिक अमेरिका और यूएई से मांग बढ़ी है, किंतु यूरोपीय यूनियन, चीन और कुछ खाड़ी देशों को किए जाने वाले निर्यात में काफी कमी आई।
अप्रैल-दिसंबर 2014 के दौरान अंतरराष्ट्रीय पण्य-वस्तुओं की कीमतों में गिरावट आने से, आयात में पिछले वर्ष की इस अवधि में 7.0 प्रतिशत की गिरावट की तुलना में 3.6 प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्ज की गई।
जबकि गैर-तेल गैर-स्वर्ण और स्वर्ण की आयात मांग में वृद्धि हुई किंतु अप्रैल-दिसंबर 2013 की तुलना में अप्रैल-दिसंबर 2014 में पीओएल आयात कम हुआ।
चीन भारत के आयात का शीर्ष स्रोत रहा, इसके बाद साउदी अरब, यूएई, स्विट्जरलैंड और अमेरिका रहे।
अप्रैल-दिसंबर 2014 में निर्यात से अधिक आयात होने से भारत का व्यापार घाटा अप्रैल-दिसंबर 2013 के दौरान 107.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में थोड़ा बढ़कर 110.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।

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