Saturday 18 April 2015

देश के काम आएगा संचित सोना (जयंतीलाल भंडारी)

सरकार द्वारा बजट में प्रस्तुत स्वर्ण मौद्रीकरण योजना घरों और मंदिरों में संचित अनुत्पादक सोने को अर्थव्यवस्था के काम में लगाए जाने की दिशा में अहम साबित होगी। इस समय अर्थव्यवस्था को तेज गति देने के लिए संसाधनों की कमी है घरेलू अनुत्पादक सोने का इस्तेमाल देश के बुनियादी ढांचे, कारोबारी विकास, रोजगार सृजन, कौशल विकास, निर्यात बढ़ाने और राजस्व अर्जन के लिए भी हो सकेगाइस समय बड़ी संख्या में लोग उद्योग-व्यवसाय में रोजगार संकट की पीड़ाओं का सामना करते हुए दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में व्यवसायी तथा उद्यमियों के लिए सोने पर ऋण की आकर्षक योजनाएं बनाई जाएं तो इससे उद्योग-व्यवसाय को प्रोत्साहन मिलेगा ब घरेलू संचित सोने के अर्थव्यवस्था के काम आने की संभावना बढ़ गई है। इसी परिप्रेक्ष्य में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सोने के मौद्रीकरण के लिए केंद्रीय बजट 2015-16 में एक प्रस्ताव रखा है। इसके माध्यम से वित्तमंत्री ने घरों में संचित सोने के पूंजीकरण की ओर कदम बढ़ाने की पहल की है। हालांकि अभी स्वर्ण मौद्रीकरण योजना के कार्यान्वयन से संबंधित विस्तृत दिशा-निर्देशों की प्रतीक्षा की जा रही है। पिछले कई वर्षो से भारत सरकार और रिजर्व बैंक द्वारा लोगों की सोने में निवेश संबंधी रुचि को हतोत्साहित करने और सोने के आयात को कम करने के लिए कई कदम उठाए जाते रहे हैं। लेकिन उनसे सोने से लोगों के जुड़ाव और सोने की बढ़ती खपत में कमी नहीं लाई जा सकी है। ऐसे में लोगों के पास संचित अनुत्पादक सोने को अर्थव्यवस्था के काम लाने और आयातित सोने पर निर्भरता घटाने के लिए दीर्घकालीन योजना की जरूरत अनुभव की जा रही थी। भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा आयातक और सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है। भारत में हर साल 800 से 1000 टन सोने का आयात होता है। जिसका मूल्य करीब 50 अरब डॉलर से अधिक होता है, जो आयात मूल्य के दृष्टिकोण से कच्चे तेल के बाद दूसरे क्रम पर है। आयातित सोने की लागत भारत की जीडीपी के तीन फीसद के लगभग होती है। दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में भारत के लोग सोने को बचत, निवेश और सामाजिक प्रतिष्ठा का महत्वपूर्ण साधन मानते हैं। र्वल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) ने 2020 के दृष्टिकोण पत्र में कहा है कि भारत सोने के भंडार के मामले में विश्व के 10 शीर्ष देशों में शामिल हो गया है। भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में सात फीसद से अधिक हिस्सा सोने के रूप में संचित है। डब्ल्यूजीसी ने यह भी कहा है कि भारत में घरों और मंदिरों में संचित करीब 22,000 टन सोना अनुत्पादक स्वरूप में है। ऐसे सोने को उत्पादक स्वरूप दिया जा सकता है। ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन (जीजेएफ) द्वारा भी कई बार केंद्र सरकार के समक्ष घरों में रखे सोने को चलन में लाने और सोने के आयात में कमी लाए जाने हेतु ठोस योजना शुरू करने की सिफारिशें की जा चुकी हैं। नई स्वर्ण मौद्रीकरण योजना इस समय चालू स्वर्ण जमा योजना तथा गोल्ड लोन योजना से विभिन्न दृष्टिकोणों से उपयोगी है। उल्लेखनीय है कि स्वर्ण मौद्रीकरण योजना के तहत मोनेटाइज होने वाले सोने को पहले पिघलाना होगा और ज्वैलरों को धातु ऋण देने के लिए सोने की बार में बदलना होगा। इस नई योजना से सोना जमा कराने वाले जमाकर्ताओं को ब्याज मिलेगा और इच्छुक ज्वैलरों को या अन्य इच्छुक लोगों को सोना ऋण के रूप में मिल सकेगा। बैंक या अन्य डीलर इस सोने के बदले रपए अदा कर सकेंगे। स्वर्ण मौद्रीकरण योजना में प्रतिफल या ब्याज तीन फीसद के लगभग हो सकता है। यही नहीं, वित्तमंत्री ने नए बजट में स्वर्ण मौद्रीकरण योजना के अलावा आयात पर निर्भरता घटाने के लिए सॉवरिन गोल्ड फंडों और अशोक चक्र बने हुए सोने के सिक्के जारी करने की योजना भी प्रस्तुत की है। इस उपाय से सोने का आयात रुकेगा और इसके कारोबार का लेखा-जोखा रखना संभव हो सकेगा तथा देश में सोने की रिफाइनिंग के कारोबार को बढ़ावा मिलेगा। गोल्ड सॉवरिन बांड पर ब्याज दरें 1.5 से 2 फीसद तक हो सकती हैं, लेकिन अच्छी बात यह है कि ब्याज दर के रूप में सालाना प्रतिफल के अलावा निवेशकों को बांड की परिपक्वता या इसे भुनाने के समय बाजार में सोने की कीमतों के बराबर भुगतान मिलेगा। वस्तुत: सरकार इस योजना के माध्यम से उन लोगों को लक्ष्य करना चाहती है, जो सोने के सिक्के और सिल्ली में खासा निवेश कर रहे हैं। अध्ययन से पता चला है कि लोग सोने के सिक्के और सिल्ली के रूप में हर साल 350 टन सोना खरीदते हैं। सरकार इस निवेश को सॉवरेन बांड में लाना चाहती है। हालांकि सरकार की नजर उन लोगों पर नहीं है जो अपने इस्तेमाल के लिए स्वर्ण आभूषण खरीद रहे हैं। निश्चित रूप से सरकार द्वारा बजट में प्रस्तुत स्वर्ण मौद्रीकरण योजना घरों और मंदिरों में संचित अनुत्पादक सोने को अर्थव्यवस्था के काम में लगाए जाने की दिशा में अहम साबित होगी। इस समय अर्थव्यवस्था को तेज गति देने के लिए संसाधनों की कमी है। घरेलू अनुत्पादक सोने का इस्तेमाल देश के बुनियादी ढांचे, कारोबारी विकास, रोजगार सृजन, कौशल विकास, निर्यात बढ़ाने और राजस्व अर्जन के लिए भी हो सकेगा। इस समय बड़ी संख्या में लोग उद्योग-व्यवसाय में रोजगार संकट की पीड़ाओं का सामना करते हुए दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में व्यवसायी तथा उद्यमियों के लिए सोने पर ऋण की आकर्षक योजनाएं बनाई जाएं तो इससे उद्योग-व्यवसाय को प्रोत्साहन मिलेगा। सोने के कारोबार से विदेशी मुद्रा की कमाई और बड़ी संख्या में रोजगार की रणनीति भी बनाई जानी चाहिए। यदि देश के सोने का उपयोग रोजगार बढ़ाने एवं कौशल विकास के लिए किया जाता है तो देश की प्रतिभाएं भारत को आर्थिक महाशक्ति बना सकती हैं। वैश्वीकरण और निजीकरण के नए दौर में देश और दुनिया के उद्योग-कारोबार जगत के लिए नई बाजार जरूरतों के अनुरूप भारत की शिक्षित-प्रशिक्षित प्रतिभाओं की मांग बढ़ रही है। लेकिन देश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा संस्थाओं की कमी और गरीब प्रतिभाशाली छात्रों के पास संसाधनों के अभाव के कारण बाजार की जरूरत के अनुरूप प्रतिभाओं की पूर्ति नहीं हो पा रही है। ऐसे में देश के मंदिरों के संचित सोने का उपयोग अधिक से अधिक गुणवत्तापूर्ण शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना एवं प्रतिभाओं को तराशने में किया जाना चाहिए। चूंकि संसाधनों एवं धन की कमी से करोड़ों लोग शिक्षा, स्वास्य और अच्छे जीवनस्तर की बुनियादी जरूरतों की पूर्ति से बहुत दूर हैं, अत: संचित किंतु अनुत्पादक दिखाई दे रहे सोने के उपयोग से देश के मानवीय चेहरे पर भी कुछ चमक लाने के प्रयास किए जाने चाहिए। संचित सोने के उपयोग से देश की अर्थव्यवस्था आगे बढ़ेगी, प्रतिभाएं आगे बढ़ेंगी। स्वास्य, शिक्षा और अन्य नागरिक सुविधाओं में सुधार से आम आदमी के चेहरे पर भी कुछ मुस्कराहट आ सकेगी। निसंदेह स्वर्ण मौद्रीकरण अच्छी योजना है लेकिन इस योजना की सफलता कोई आसान काम नहीं है। सफलता के लिए कुछ बातों पर ध्यान देना जरूरी होगा। सोना जमा कराने वालों को आकर्षक ब्याज देना होगा। यह भी जरूरी होगा कि सरकार स्व-घोषणा के आधार पर सोना जमा कराने वाले लोगों के स्वामित्व हक की वैधता सुनिश्चित करे। साथ ही शुरुआत में ही सोना जमा कराने वालों को भविष्य में कोई कार्रवाई या किसी प्रकार के कर की संभावना के बारे में पूर्णतया अवगत कराना होगा। उम्मीद है कि मोदी सरकार स्वर्ण मौद्रीकरण योजना को व्यावहारिक रूप से लागू करेगी और इसकी सफलता के लिए ऐतिहासिक अभियान चलाएगी। ऐसा होने पर ही अनुत्पादक सोने के अधिकतम उपयोग से आने वाले वर्षो में अर्थव्यवस्था को नई ताकत दी जा सकेगी। घरेलू सोने का अधिकतम उत्पादक उपयोग आने वाले वर्षो में भारत को विकसित देश और दुनिया की आर्थिक महाशक्ति बनाने में सार्थक भूमिका निभा सकता है।(rs)

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