Saturday 25 April 2015

भारत और फ्रांस : वसंत ऋतु (भारतीय विदेश मंत्रालय की साईट से आभार सहित ) लेखक : मनीष चंद

पेरिस में इस समय वसंतु ऋतु है और भारत – फ्रांस संबंधों में एक नई उछाल, तरंग एवं चंचलता दिख रही है। अप्रैल में पेरिस धरती पर स्‍वर्ग जैसा दिखता है तथा यह यूरोप की तथा इस महाद्वीप की शक्तिशाली अर्थव्‍यवस्‍था की प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की पहली यात्रा का पहला पड़ाव है। यूरोपीय महाद्वीप में फ्रांस भारत का प्रमुख सामरिक साझेदार है तथा दोनों देशों के बीच सामरिक साझेदारी का निर्माण 1998 में हुआ तथा निरंतर इसके तहत नई सीमाओं को शामिल किया गया है।
बहुआयामी संबंधों की खासियत यह है कि उच्‍च स्‍तर पर अक्‍सर यात्राएं होती हैं तथा एक – दूसरे की कंपनी में दुर्लभ सामरिक सहजता की अनुभूति होती है। फरवरी, 2013 में, फ्रांस के राष्‍ट्रपति फ्रांकोस ओलांद ने द्विपक्षीय यात्रा के लिए एशिया में पहले देश के रूप में भारत का चुना जो इस बात को रेखांकित करता है कि पेरिस के सामरिक कैलकुलस में नई दिल्‍ली का विशेष स्‍थान है। सुधार की सोच रखने वाले भारत के प्रधानमंत्री ने भारत गाथा के बारे में फ्रांस में उत्‍साह की एक नई तरंग पैदा की है। इसमें कोई आश्‍चर्य नहीं है कि राष्‍ट्रपति ओलांद ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में श्री मोदी के शपथ – ग्रहण के कुछ सप्‍ताह के अंदर पिछले साल जुलाई में अपने विदेश मंत्री लॉरेंट फेबियस को नई दिल्‍ली भेजा जो इस बात का संकेत है कि भारत में नए वसंत को लेकर पेरिस में आशाएं जगी हैं। और अब श्री मोदी फ्रांस की बहु-शहर यात्रा के लिए प्रस्‍थान कर रहे हैं (9 से 12 अप्रैल) जिसके तहत पेरिस, टुलुस और न्‍यूव चैपल शामिल हैं, जो प्रथम विश्‍व युद्ध का प्रसिद्ध युद्ध स्‍थल है, जो भारत – फ्रांस संबंधों के बहुरंगी विकास पथ को दर्शाएगा। प्रतीकात्‍मक भंगिमाओं की दृष्टि से यह यात्रा बहुत महत्‍वपूर्ण होगी जैसे कि प्रधानमंत्री जी फ्रांस के राष्‍ट्रपति के साथ सीएन में नौकायन करेंगे तथा उम्‍मीद है कि इससे अनेक सारवान परिणाम प्राप्‍त होंगे जिनका भारत – फ्रांस संबंधों के भावी विकास पथ से सरोकार होगा।
(भारत की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री से मुलाकात करते हुए फ्रांस के विदेश मंत्री लॉरेंट फेबियस)मेज पर क्‍या है?
जब प्रधानमंत्री मोदी 10 अप्रैल को पेरिस में फ्रांस के राष्‍ट्रपति के साथ वार्ता के लिए बैठेंगे, तो वार्ता के लिए स्‍वादिष्‍ट व्‍यंजन के अलावा टेबल बहुत कुछ होगा, जिसके लिए फ्रांस विख्‍यात है। मेनू भूखवर्धक होगा तथा विविधतापूर्ण होगा – व्‍यापार एवं निवेश, परमाणु ऊर्जा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, रक्षा सौदे तथा अंतरिक्ष आदि। भारत – फ्रांस संबंधों का स्‍तर ऊपर उठाने के लिए उन्‍होंने एक महत्‍वाकांक्षी एजेंडा तैयार किया है।
भारत और फ्रांस के नेताओं ने पहले ही निजी संबंध का निर्माण कर लिया है; प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल नवंबर में ब्रिसबेन में आस्‍ट्रेलिया में जी-20 शिखर बैठक के दौरान अतिरिक्‍त समय में फ्रांस के राष्‍ट्रपति से मुलाकात की थी तथा द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए अपनी इच्‍छा से अवगत कराया था।
आर्थिक राजनय
आर्थिक राजनय एजेंडा में काफी ऊपर होगा। फ्रांस, जर्मनी और कनाडा की अपनी यात्रा से पूर्व प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विट किया है : ''मेरी फ्रांस, जर्मनी और कनाडा यात्रा भारत के आर्थिक एजेंडा के समर्थन तथा हमारे युवाओं के लिए नौकरियों के सृजन के इर्द-गिर्द केंद्रित है। मैं भारत – फ्रांस आर्थिक सहयोग के सुदृढ़ीकरण पर चर्चा करूँगा तथा पेरिस के बाहर कुछ हाई टेक औद्योगिक यूनिटों को देखने जाऊँगा।'' आर्थिक संबंध बढ़ रहे हैं तथा द्विपक्षीय व्‍यापार सात बिलियन अमरीकी डालर से अधिक हो गया है। फ्रांस की कंपनियां भारत की विकास संबंधी संभावनाओं पर दांव लगा रही हैं तथा एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था तथा विश्‍व की सबसे तेजी से विकास कर रही अर्थव्‍यवस्‍थाओं में से एक में और धन लगाने की योजना बना रही हैं। भारत में फ्रांसीसी निवेश पहले ही बढ़कर 10 बिलियन अमरीकी डालर के आसपास पहुंच गया है। और 700 से अधिक फ्रांसीसी कंपनियां भारत में कारोबार कर रही हैं तथा नौकरियों को सृजन कर रही हैं और नवाचार में नए कीर्तिमान स्‍थापित कर रही हैं।
मेक इन इंडिया तथा स्‍मार्ट शहर
एक अन्‍य क्षेत्र जहां भारत फ्रांसीसी निवेश एवं विशेषज्ञता प्राप्‍त करना चाहेगा वह स्‍मार्ट शहरों तथा शहरी अवसंरचना का क्षेत्र है। फ्रांस में भारत के राजदूत श्री राकेश सूद ने एक साक्षात्‍कार में wwww.indiawrites.org को बताया ''शहरी आयोजना, शहरी अवसंरचना, शहरी परिवहन, जल प्रबंधन, सीवेज प्रबंधन, सार्वजनिक स्‍वच्‍छता के क्षेत्र में वैश्विक लीडर में से कुछ फ्रांसीसी कंपनियां हैं तथा यह भारत - फ्रांस सहयोग का एक महत्‍वपूर्ण क्षेत्र होना चाहिए।''
जब श्री मोदी टुलुस, जो एयरबस उद्योग का केंद्र है, में होंगे तब ‘मेक इन इंडिया’ अभियान पर फोकस होगा जहां वह भारत के नागर विमानन की अवसंरचना को सुदृढ़ करने तथा देश के उभरते सैन्‍य उद्योग परिसर को सुदृढ़ करने के लिए फ्रांस की प्रौद्योगिकी एवं नवाचार प्राप्‍त करने का प्रयास करेंगे।
शांति के लिए एटम / परमाणु सौदा
असैन्‍य परमाणु सहयोग को आगे बढ़ाना एजेंडा में काफी ऊपर होगा। सितंबर, 2008 में परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह द्वारा छूट के बाद भारत के साथ द्विपक्षीय असैन्‍य परमाणु संधि पर हस्‍ताक्षर करने वाला फ्रांस पहला देश है। फ्रांस, जो अपनी ऊर्जा संबंधी अधिकांश मांग के लिए परमाणु ऊर्जा पर निर्भर है, असैन्‍य परमाणु ऊर्जा के लिए भारत की तलाश में भी विशेष है क्‍योंकि इसने उस समय तारापुर परमाणु संयंत्र को परमाणु ईंधन की आपूर्ति की है जब विश्‍व की बड़ी अर्थव्‍यवस्‍थाओं में परमाणु परीक्षण के लिए भारत पर प्रतिबंध लगाया था। अब भारत – फ्रांस असैन्‍य परमाणु सहयोग का सार्थक होना तय है क्‍योंकि दोनों पक्ष महाराष्‍ट्र के जैतापुर में 6 परमाणु रिएक्‍टर स्‍थापित करने के लिए फ्रांस के परमाणु जाइंट अरेवा के लिए प्रशासनिक व्‍यवस्‍थाओं को अंतिम रूप देने के लिए कुछ बकाया मुद्दों को हल करने के लिए कृत संकल्‍प हैं।
(भारत की अपनी यात्रा के दौरान विदेश मंत्री से मुलाकात करते हुए फ्रांस के विदेश मंत्री लॉरेंट फेबियस)अंतरिक्ष साझेदारी दर्शाती है कि वस्‍तुत: आकाश सीमित है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और इसके फ्रांसीसी सम‍कक्ष सेंटर नेशनल डी इटुडस स्‍पेटिएल (सी एन ई एस) दशकों से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी पर आपस में सहयोग कर रहे हैं तथा संयुक्‍त रूप से उपग्रह छोड़ रहे हैं। इसरो एवं सी एन ई एस ने संयुक्‍त रूप से ए आर जी ओ एस और अल्टिका (सरल) के लिए उपग्रह का विकास किया जिस पर समुद्री सतह की तुंगता के अध्‍ययन के लिए एक रडार अल्‍टीमीटर लगा है तथा महासागर उछाल एवं मौसम डाटा केंद्र (ए आर जी ओ एस) से डाटा एकत्र करने के लिए डाटा संग्रहण प्‍लेटफार्म हैं। यह बहुत उपयोगी साझेदारी है : सी एन ई एस ने पेलोड प्रदान किया तथा इसरो पी एस एल वी का प्रयोग करके लांच करने और सेटेलाइट प्‍लेटफार्म एवं आपरेशन के लिए जिम्‍मेदार है। एकीकृत सरल उपग्रह को 25 फरवरी, 2013 को छोड़ा गया।
रक्षा संबंध
रक्षा सहयोग बढ़ती सामरिक साझेदारी का आधार बना हुआ है। दोनों देशों ने शक्ति नामक संयुक्‍त सैन्‍य अभ्‍यास के तीन संस्‍करणों तथा भारत – फ्रांस हवाई अभ्‍यास गरूड़ के 5 संस्‍करणों का आयोजन किया है। भारत – फ्रांस नौसैन्‍य अभ्‍यास वरूण का अयोजन 19 से 22 जुलाई, 2012 के दौरान टौलोन बंदरगाह पर भूमध्‍य सागर में हुआ। फ्रांस भारत को अधुनातन हथियारों की आपूर्ति करने वाले शीर्ष देशों में शामिल है। पेरिस में वार्ता के दौरान, राफेल एयरक्राफ्ट की खरीद पर कुछ चर्चा की उम्‍मीद की जा सकती है जिसे सभी रक्षा सौदों की जननी की संज्ञा दी जा रही है।
थिंक स्‍ट्रटेजिक
वैश्विक तापन तथा आतंकवाद की खिलाफत जैसी नई चुनौतियों की पृष्‍ठभूमि में भारत अपनी मजबूत सामरिक साझेदारी को गहन एवं विविध करना चाहेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने उस समय शीघ्रता से फ्रांस के राष्‍ट्रपति को कॉल किया जब पेरिस में आतंकियों द्वारा एक फ्रांसीसी व्‍यंग्‍यात्‍मक साप्‍ताहिक को निशाना बनाया गया तथा आतंकवाद की खिलाफत में सहयोग के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। दोनों देश आतंकवाद की खिलाफत के क्षेत्र में आसूचना की साझेदारी तेज करना चाहेंगे।
सांस्‍कृतिक दृष्टि से, भारत और फ्रांस आपस में जुड़े हैं तथा रिश्‍ता बहुत सुंदर है। यह मन का मिलन है तथा सहयोग के बढ़ते क्षेत्रों में से एक है। लगभग 3000 भारतीय छात्र फ्रांस में पढ़ रहे हैं। भारत और फ्रांस के विश्‍वविद्यालयों एवं निजी संस्‍थाओं के बीच लगभग 400 एम ओ यू पर हस्‍ताक्षर किए गए हैं। पेरिस, जो यूरोप की सांस्‍कृतिक राजधानी है, भारतीय पर्यटकों के लिए स्‍वप्निल गंतव्‍य बना हुआ है तथा इंडिया स्‍टोरी को फ्रांस में अच्‍छे स्रोता मिल रहे हैं। फ्रांस में बालिवुड की धूम मची हुई है तथा भारत में फ्रांसीसी सिनेमा के समर्पित अनुयायी हैं। पिछले कुछ वर्षों में आयोजित नमस्‍ते फ्रांस और बोंजोर इंडिया महोत्‍सव में यह सांस्‍कृतिक चमक और तेज हुई है। अप्रैल में पेरिस एक निरापद स्‍थल के रूप में दिखता है तथा यह इस महत्‍वपूर्ण सामरिक साझेदारी के लिए नए सपनों के खिलने का समय है तथा गतिशील एवं विकासशील भारत – फ्रांस संबंधों के लिए नए अवसर तैयार होंगे।
(मनीष चंद इंडिया राइट्स नेटवर्क, www.indiawrites.org, जो अंतर्राष्‍ट्रीय मामलों तथा इंडिया स्‍टोरी पर केंद्रित एक ई-मैग्‍जीन – जर्नल है, के मुख्‍य संपादक हैं)

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