Wednesday 8 June 2016

विद्वानों ने कहा, ट्रम्प से अमेरिकी कानूनों को खतरा (एडम लिप्टिक, सुप्रीमकोर्ट एवं कानूनी मामलों के विशेषज्ञ )

अमेरिकामें जब से डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने की संभावनाएं मजबूत हुई हैं, उसके बाद से ही कई विश्लेषक उनकी नीतियों और विचारों पर गौर करने लगे हैं। अब यह कहा गया है कि ट्रम्प अमेरिका के 'रूल ऑफ लॉ' के लिए खतरा हो सकते हैं। यह वह बात है, जिसमें अमेरिका खुद को सर्वोच्च दिखाता रहा है। कानून के मसले पर अमेरिका के लगभग सभी नेताओं की एक समान राय रहती है।
डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में प्रेस, न्याय प्रणाली को लेकर कई तरह की शिकायतें की हैं। साथ ही उन्होंने पहले से ज्यादा मजबूती से कहा कि वे ही अमेरिका के राष्ट्रपति बनेंगे और सबसे पहले संविधान में संशोधन करके शक्तियों एवं कानूनी अधिकारों का विभाजन करेंगे, जिसमें रूल ऑफ लॉ, कानूनी विशेषज्ञ और राजनीतिक विषय शामिल हैं। हालांकि अभी रिपब्लिकन की ओर से ट्रम्प के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहा जा रहा है, लेकिन पार्टी में भीतरी तौर पर यह तैयारियां शुरू हो गई हैं कि डोनाल्ड ट्रम्प के नामांकित उम्मीदवार होते ही पार्टी को क्या करना है। इस बीच, कंजर्वेटिव एवं लिबरल विचार रखने वाले कई कानूनी विशेषज्ञों ने अपनी राय रखी है कि ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के कारण संवैधानिक संकट खड़े हो सकते हैं।
लाइबरटेरियन केटो इंस्टीट्यूट में अधिवक्ता इलया शेपिरो ने कहा- कौन जानता है कि डोनाल्ड ट्रम्प पेन और फोन हाथ में लेकर क्या करने वाले हैं? अभी मुख्य चुनाव होने में पांच महीने का वक्त शेष है। इसके पहले ही ट्रम्प कह चुके हैं कि वे परिवाद कानूनों में लचीलता लाएंगे, ताकि मीडिया संगठनों पर आसानी से शिकंजा कसा जा सके। उन्होंने संघीय नियामकों पर भी अपनी बात रखी है, जो अपने नियमों के लिए जाने जाते हैं। ट्रम्प मुस्लिमों के अमेरिका में प्रवेश को लेकर प्रतिबंध की बातें कह चुके हैं, जिसे यह समझा जा रहा है कि यह अमेरिका की धार्मिक स्वतंत्रता के कानूनों का परीक्षण होगा। इसके अतिरिक्त डोनाल्ड ट्रम्प जजों पर हमला करने से भी नहीं चूकते हैं। उन्होंने कुछ दिन पहले ही सेन डिएगो की डिस््रिक्ट कोर्ट के जज गोन्जालो क्रुएल पर निशाना साधा था, जिन्होंने 'ट्रम्प यूनिवर्सिटी' पर कार्रवाई करने की बात कही थी। ऐसा शायद इसलिए क्योंकि ट्रम्प मानते हैं कि जज गोन्जालो पक्षपात करते हैं, क्योंकि वे मैक्सिन हैं और उन्हें मेरे विचार पसंद नहीं आते हैं। यहां जानना होगा कि ट्रम्प ने मैक्सिकन लोगों को रोकने के लिए सीमा पर लंबी दीवार बनाने की बातें भी कही हैं।
लॉ ब्लॉग और 'द वोलोख कॉन्सपिरेसी' के लिए लिखने वाले रिटायर्ड लॉ प्रोफेसर डेविड पोस्ट कहते हैं- जज गोन्जालो के प्रति ट्रम्प का व्यवहार इसलिए ऐसा है, क्योंकि उन्हें लगता है कि जज ने उनका अपमान किया है। ट्रम्प ने उन्हें तब तो बर्दाश्त किया, लेकिन उन्हें पता है कि वे नवंबर में सबके सामने होंगे और राष्ट्रपति का चुनाव जीत भी सकते हैं। सवाल उठ रहे हैं कि अगर ट्रम्प राष्ट्रपति बन जाते हैं, तो क्या वे जज के खिलाफ भी सिविल केस करेंगे?
प्रोफेसर पोस्ट कहते हैं- क्या इसे हम अधिनायकवाद की शुरुआत कह सकते हैं, क्योंकि यहां एक ऐसे राष्ट्रपति को लेकर बातें हो रही हैं, जो न्यायपालिका का ज़रा भी सम्मान नहीं करता है। उन्हें जजों की बातें सुनने में परेशानी होती है, वे उसे अपना अपमान समझ लेते हैं। आप यहां न्याय प्रणाली की आलोचना कर सकते हैं, आप चाहें तो किसी व्यक्तिगत केस की आलोचना कर सकते हैं, आप किसी जज की भी व्यक्तिगत आलोचना कर सकते हैं, लेकिन राष्ट्रपति के लिए यह स्पष्ट होना चाहिए कि कानून, कानून होता है और राष्ट्रपति का काम कानून का पालन कराना होता है। यही एक राष्ट्रपति की संवैधानिक बाध्यताएं होती हैं। अगर वे पद पर होते हुए भी यह संकेत देते हैं कि वे पद पर नहीं हैं, तो यह बहुत ही गंभीर संवैधानिक समस्या हो सकती है। जॉर्जटाउन में लॉ प्रोफेसर और बराक ओबामा के हैल्थ केयर लॉ को बड़ी चुनौती देने वाले रणनीतिकार रेन्डी ई. बर्नेट कहते हैं- न्यायिक स्वतंत्रता पर पूरी तरह निशाना साधना, उसकी आलोचना करने के चलते ट्रम्प के उस वादे पर सवाल उठते हैं, जिसमें उन्होंने शक्तियों और अधिकारों के विभाजन की बात कही है, जबकि संविधान के सिद्धांतों में पहले से कई बातें तय स्पष्ट हैं। यही कारण है कि मुझे उनके दोनों मोर्चों पर संदेह नजर आता है। प्रोफेसर बर्नेट कहते हैं, हो सकता है कि आप राष्ट्रपति बन जाएं और आपको संवैधानिक बाध्यताओं उनके दायरे का कुछ ही अनुमान हो, आपको संसदीय शक्तियों का ज्ञान हो, संघीय अधिकारों की जानकारी हो, लेकिन मुझे इन सब दायरों को लेकर उनकी समझ पर ही संदेह होता है। (न्युयोर्क टाइम्स दैनिक भास्कर से विशेष अनुबंध के तहत)

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