अफगानिस्तान में अफगान-भारत मैत्री बांध (सलमा बांध) का निष्पादन और कार्यान्वयन भारत सरकार के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के अधीन उपक्रम डब्ल्यूएपीसीओएस लिमिटेड ने किया है। अफगान-भारत मैत्री बांध एक बहुउद्देशीय परियोजना है जिसका मकसद अफगानिस्तान के लोगों के लिए 42 मेगावाट क्षमता का बिजली उत्पादन, 75000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई, जल आपूर्ति और अन्य लाभ उपलब्ध कराना है। भारत सरकार द्वारा अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में चिश्ते-ए-शरीफ नदी पर कराया जा रहा सलमा बांध का निर्माण अफगानिस्तान के लिए बुनियादी ढांचा साबित होगी।
यह परियोजना हेरात शहर से 165 किलोमीटर पूर्व में स्थित है जो कच्ची सड़क से जुड़ा हुआ है। सुरक्षा कारणों की वजह से इस परियोजना से जुड़े सभी भारतीय इंजीनियरों और तकनीशियनों का दल अफगानिस्तान सरकार द्वारा प्रदान किए गए हेलीकॉप्टर से महीने में एक बार साइट पर पहुंचाया जाता है।भारत सभी उपकरण और सामग्री समुद्र मार्ग से ईरान के बांदर-ए-अब्बास बंदरगाह तक भेजा गया जिसके बाद 1200 किलोमीटर सड़क मार्ग से ईरान-अफगानिस्तान सीमा पर स्थित इस्लाम किला सीमा चौकी ले जाया गया और फिर सीमा चौकी से आगे 300 किलोमाटर कार्यस्थल पर पहुंचाया गया।अफगानिस्तान ने सीमेंट, इस्पात, विस्फोटक आदि सामग्री पड़ोसी देशों से आयात किया है।बांध की सकल क्षमता 633 मिलियन मीट्रिक टन है, बांध की ऊंचाई 104.3 मीट्रिक टन, लंबाई 540 मीट्रिक टन और सतह की चौड़ाई 450 मीट्रिक टन है।
यह परियोजना भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित है। यह परियोजना बहुत कठिन परिस्थितियों में 1500 भारतीय और अफगानी इंजीनियरों और अन्य पेशेवरों द्वारा कई वर्षों की कड़ी मेहनत का परिणाम है।
पश्चिमी अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में स्थित इस बाँध का, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने चिश्त-ए- शरीफ में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति डॉ. अशरफ गनी के साथ संयुक्त रूप से अफगान-भारत मित्रता बांध (सलमा बांध) का शुभारंभ किया। अफगान-भारत मैत्री बांध 42 मेगावॉट बिजली उत्पन्न करने की क्षमता, 75 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई, जलापूर्ति और अफगानिस्तान के लोगों के लिए अन्य लाभों हेतु बनाई गई एक बहुउद्देश्यीय परियोजना है। सलमा बांध अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में हरीरुद नदी पर भारत सरकार के द्वारा शुरू की गई एक ऐतिहासिक बुनियादी ढांचे की परियोजना है। इस परियोजना का निष्पादन और कार्यान्वयन जल संसाधन, नदी विकास, गंगा सरंक्षण मंत्रालय के अंतर्गत भारत सरकार के एक उपक्रम वेपकॉस लिमिटेड के द्वारा किया गया है।
ये परियोजना हेरात कस्बे से 165 किलोमीटर पूर्व में स्थित है। सुरक्षा कारणों से इस परियोजना में शामिल भारतीय अभियंताओं और तकनीशियनों को परियोजना स्थल पर ले जाने के लिए महीने में एक बार अफगानिस्तान सरकार द्वारा हेलीकॉप्टर सेवा प्रदान की गई। परियोजना के लिए सभी उपकरणों और सामग्री को समुद्र के माध्यम से भारत से ईरान के बंदर-ए-अब्बास बंदरगाह पर भेजा गया और वहां से सड़क मार्ग से 1200 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए ईरान-अफगानिस्तान की सीमा पर स्थित किला सीमा चौकी पहुंचाया गया और इसके पश्चात सड़क मार्ग से 300 किलोमीटर की दूरी तय करके परियोजना स्थल की सीमा चौकी पर भेजा गया। सीमेट, इस्पात सुदृढ़ीकरण, विस्फोटक आदि को अफगानिस्तान में पड़ोसी देशों से आयात किया गया। बांध की कुल क्षमता 633 मिलियन एम-3 है। बांध की ऊंचाई 104.3 एमटी, लम्बाई 540 एमटी और तल की चौड़ाई 450 एमटी है।
भारत सरकार द्वारा परियोजना के लिए 1775 करोड़ रुपये का वित्त पोषण किया गया है और इसे पूरा करने में 10 वर्ष से अधिक का समय लगा। परियोजना का सफलतापूर्वक समापन 1500 भारतीयों और अफगानी अभियंताओं एवं अन्य पेशेवरों के द्वारा बेहद कठिन परिस्थितियों में की गई वर्षों की कड़ी मेहनत के परिणाम को दर्शाता है।
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