Wednesday 10 August 2016

आतंकवादी शहीद नहीं हो सकता: राजनाथ सिंह (राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री)

हमारी सरकार को गठित हुए दो वर्ष से अधिक हो गए हैं, इस दौरान भारत ने अपनी इस परंपरा का पालन किया है कि पड़ोसियों से अच्छे संबंध हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता हैं। ‘पड़ोसी पहले’ की नीति में हमने शांति और समृद्धि के लिए क्षेत्र में आपसी संबंध बढ़ाने और अपने सहयोगियों के साथ मिलकर काम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इस बैठक में इसी उद्देश्य के तहत मैं आया हूं।
इस मंच के बैनर तले हम पिछली बार काठमांडू में नवंबर, 2014 में आयोजित शासनाध्यक्षों की 18वीं बैठक से पहले मिले थे। उस बैठक में हमारे नेताओं ने दक्षिण एशिया में शांति, स्थायित्व और समृद्धि के लिए क्षेत्रीय एकजुटता की प्रतिबद्धता जताई थी। दक्षेस ने अब तक तीन दशक का सफर पूरा कर लिया है, और आज इस बात की पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है कि हम क्षेत्रीय सहयोग को एक ऐसे स्तर पर ले जाएं, जिसे हमारे लोगों की उम्मीदों और आकांक्षाओं का एहसास हो।
दक्षिण एशिया के लिए हमारा नजरिया, जिसका खाका प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 18वीं बैठक में भी खींचा था, व्यापार, निवेश, व्यापक विकास के लिए सहयोग, लोगों के बीच आपसी संबंधों की मजबूती व निर्बाध आवाजाही पर टिका है। प्रधानमंत्री द्वारा किए गए प्रयासों के अनुरूप ही हम आगे बढ़े हैं। मुझे यहां यह बताने में भी खुशी हो रही है कि हमने इंडिया बिजनेस कार्ड योजना की शुरुआत की है, जिससे कारोबारियों को भारत यात्रा में सुविधा होगी।
यह महत्वपूर्ण है कि अगर हमारे प्रयास सफल होते हैं, तो दक्षिण एशिया मे क्षेत्रीय समृद्धि, आपसी जुड़ाव और सहयोग के अनुकूल जरूरी माहौल बनेगा। हालांकि हम उन घटनाओं और बढ़ते खतरों के गवाह हैं, जो हमारे क्षेत्र की शांति व स्थिरता को नुकसान पहुंचाती हैं। आतंकवाद आज भी सबसे बड़ी चुनौती है और हमारी शांति की राह में सबसे बड़ा खतरा है। दक्षिण एशिया लगातार इस रोग से गहराई से प्रभावित है। हाल ही में पठानकोट, ढाका, काबुल और दूसरी जगहों पर हमने कायराना आतंकी हमले झेले हैं। सिर्फ सख्त लफ्जों में इन हमलों की निंदा काफी नहीं है। इस बुराई को खत्म करने के लिए हमें कठोर संकल्प लेना चाहिए और गंभीर कदम उठाने चाहिए।
यह भी सुनिश्चित करने की जरूरत है कि आतंकवाद का न महिमा-मंडन किया जाए और न ही उसे किसी राष्ट्र का समर्थन हासिल हो। किसी भी देश का आतंकी किसी के लिए शहीद या स्वतंत्रता सेनानी नहीं हो सकता। मैं भारत या दूसरे दक्षेस सदस्य देशों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए यह कहता हूं कि किसी भी स्थिति में आतंकियों की प्रशंसा शहीद के रूप में नहीं की जानी चाहिए। वे देश, जो आतंकवाद या आतंकियों को समर्थन देते हैं, उसे बढ़ावा देते हैं, उसे पनाह देते हैं या किसी भी रूप में मदद करते हैं, उन्हें निश्चय ही अलग-थलग कर देना चाहिए। न सिर्फ आतंकियों और आतंकी संगठनों के खिलाफ, बल्कि हर उस व्यक्ति, संस्था, संगठन या देश के खिलाफ सख्त से सख्त कदम उठाना चाहिए, जो उनकी मदद करते हैं। इसी रास्ते से हम उन ताकतों का सामना कर सकेंगे, जो मानवता के खिलाफ आतंकवाद जैसे जघन्य अपराध को बढ़ावा देते हैं।
दुर्दांत आतंकियों और उनके संगठनों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय के जनादेश और इच्छाशक्ति का सम्मान किया जाना चाहिए। अगर हम आतंकवाद से छुटकारा चाहते हैं, तो ईमानदारी से यह मानना होगा कि ‘अच्छे’ और ‘बुरे’ आतंकियों के बीच भेद हमें गुमराह करता है। किसी भी तरह के आतंकवाद या उसे सहयोग देने का कोई भी तरीका किसी आधार पर उचित नहीं ठहराया जा सकता। किसी भी तरीके से अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले या उसे मदद पहुंचाने वाले व्यक्ति के खिलाफ तत्काल व प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है; फिर चाहे वे राज्य पोषित हों या नहीं (‘स्टेट एक्टर्स’ और ‘नॉन-स्टेट एक्टर्स’, दोनों)। तभी मुंबई व पठानकोट जैसे हमलों में शिकार हुए मासूम लोगों के साथ न्याय हो पाएगा। हमें हर तरह के आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेन्स’ की नीति अपनानी होगी। आतंकवाद के खिलाफ हमारी सामूहिक लड़ाई में ‘सार्क रिजनल कन्वेंशन ऑन सप्रेशन ऑफ टेररिज्म’ और इसके अतिरिक्त प्रोटोकॉल काफी अहम बन गए हैं। इसमें वे प्रभावी उपाय भी शामिल हैं कि जो लोग आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते हैं, वे अभियोजन और सजा से बच न सकें और उनका प्रत्यर्पण या सजा हो सके।
आतंकवाद से निपटने के लिए हमें साइबर अपराध के हर संभव रास्ते, आतंकी दुनिया से उसके संबंधों पर नजर रखनी चाहिए, ताकि सोशल मीडिया और अन्य आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किसी को गुमराह करने के लिए, खासकर युवाओं को भ्रमित करने के लिए या अन्य तरह से आतंकवाद के लिए न हो। मुझे खुशी है कि सभी दक्षेस सदस्यों ने हमारे इस प्रस्ताव पर सहमति जताई है कि प्रख्यात विशेषज्ञों के उच्च स्तरीय दल की दूसरी बैठक, जो दक्षेस के आतंकवाद-निरोधी तंत्र को मजबूत बनाता है, नई दिल्ली में 22-23 सिंतबर, 2016 को आयोजित की जाएगी। मैं इसके लिए आप सभी के प्रति आभार प्रकट करता हूंं और उम्मीद करता हूं कि यह बैठक अपने उद्देश्यों को प्राप्त करेगी।
मैं इस ओर भी ध्यान दिलाना चाहूंगा कि आपराधिक मामलों में परस्पर सहायता संबंधी दक्षेस कन्वेंशन को भी तत्काल वैधानिक रूप देने की जरूरत है। हम कन्वेंशन से लाभ उठाने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि कुछ सदस्य देशों ने इसे अपने यहां संसद से पारित नहीं करवाया है। मैं उन सदस्य देशों से अनुरोध करूंगा कि वे जल्दी से जल्दी इसे पारित करवाएं। ड्रग्स की तस्करी और इसका दुरुपयोग एक गंभीर चुनौती है, जिसका प्रतिकूल असर पड़ता है। यह एक ऐसी समस्या है, जो सभी तरह के संगठित अपराध से जुड़ी है। आज गैर-कानूनी पूंजी का सबसे बड़ा स्रोत है ड्रग्स-कारोबार। नकली नोटों के प्रचलन की बढ़ती समस्या के साथ ड्रग्स की तस्करी आतंकवाद को बढ़ावा देती है और हमारे क्षेत्र में आर्थिक अस्थिरता बढ़ाती है। नारकोटिक्स ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक पदार्थ पर क्षेत्रीय कन्वेंशन को लागू करने के लिए हमने अपने पूर्ण समर्थन और सहयोग की पेशकश की है। ‘सार्क टेररिस्ट ऑफेन्स मॉनिर्टंरग डेस्क’ और ‘सार्क ड्रग ऑफेन्स मॉनिर्टंरग डेस्क’ को भी मजबूत बनाने की जरूरत है।
महिलाओं व बच्चों की सुरक्षा हमारे देशों की मजबूती निर्धारित करेगी। यह सामयिक व प्रासंगिक है कि सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग में वृद्धि और वैश्विक अर्थव्यवस्था के बदलते चरित्र के साथ बढ़ते नए खतरों को देखते हुए दक्षेस ने इस क्षेत्र में सहयोग के लिए सहमति जताई है। भारत में हमने कई नए प्रयास किए हैं, जैसे कि बच्चों को बचाने के लिए ‘ट्रैक चाइल्ड’ वेबासइट और ‘ऑपरेशन स्माइल’। बच्चों के खिलाफ हिंसा का अंत करने की दक्षिण एशिया की पहल की मंत्री-स्तरीय बैठक में हमने अपना अनुभव साझा किया है, जिसकी हमने हाल ही में मेजबानी की थी। हमारे प्रधानमंत्री ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना शुरू की है। इसका तेजी से विस्तार किया गया है और बालिकाओं के अस्तित्व, संरक्षण, शिक्षा और सशक्तीकरण को सुनिश्चित करने में इसने मदद शुरू की है। मैं यहां भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की चर्चा भी करना चाहूंगा। हमारी नीति की आधारशिला अधिक से अधिक पारदर्शिता लाना और सुशासन पाना है। उदाहरण के लिए, हमारे वित्तीय समावेशन जन-धन योजना की भी मैं यहां चर्चा करूंगा। दुनिया के सबसे बड़े बायोमिट्रिक आईडी सिस्टम आधार और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से हमने यह सुनिश्चित किया है कि सार्वजनिक योजनाओं का लाभ जमीनी स्तर पर पहुंचे।
(हिन्दुस्तान)

No comments:

Post a Comment