Monday 22 August 2016

पाक के साथ बीजिंग को भी संदेश (डॉ. लक्ष्मीशंकर यादव)

हर वक्त कश्मीर का रोना रोने वाले पाकिस्तान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैकफुट पर ला दिया है। मोदी की ओर से बलूचिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों पर पकिस्तान द्वारा किए जाने वाले दमन का जिक्र किए जाने का असर इस्लामाबाद में दिखाई दिया। पाकिस्तान सरकार ने बलूचिस्तान से बाहर निर्वासन में रह रहे बलूच नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया है। पाक नेताओं ने कहा है कि सभी मसलों का हल निकालने के लिए बातचीत ही एक रास्ता है। पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री नवाब सनाउल्ला खान और सेना की दक्षिणी कमांड के कमांडर लेफ्टीनेंट जनरल अमीर रियाज ने कहा कि वे स्वनिर्वासित बलूच नेताओं के देश में लौटने का स्वागत करेंगे। सनाउल्ला खान ने बलूच नेताओं को स्वदेश आने का निमंत्रण पाकिस्तान के स्वाधीनता दिवस के मौके पर जियारत में आयोजित एक कार्यक्रम में दिया। जियारत बलूचिस्तान का ही एक जिला है।
बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री ने यहां तक कहा कि अगर बलूचिस्तान के लोग आपको चुनते हैं तो हम इस फैसले का सम्मान करेंगे, मगर सरकार के लिए ऐसे नेताओं की विचारधारा को बंदूक के जोर पर स्वीकार कर पाना मुमकिन नहीं होगा। हम किसी व्यक्ति को बल का प्रयोग कर अपनी विचारधारा को थोपने की इजाजत नहीं देंगे। उन्होंने दावा किया कि बलूचिस्तान अपनी मर्जी से पाकिस्तान में शामिल हुआ था। वास्तविकता इसके विपरीत है। बलूचिस्तान का पाकिस्तान में विलय बलूच नेताओं की मर्जी के खिलाफ हुआ था। यही कारण है कि यह इलाका पाकिस्तान को दमनकारी देश के रूप में देखता है। बलूचिस्तान के लोग जितना बड़ा खतरा पाकिस्तान को मानते हैं उतना ही चीन को भी। माना जा रहा है कि मोदी ने बलूचिस्तान का जिक्र करके पाकिस्तान के साथ-साथ चीन को भी संदेश दिया है। ध्यान रहे कि चीन यह चाह रहा है कि भारत दक्षिण चीन सागर मामले में उसका साथ दे। यह गौर किया जाना चाहिए कि चीन ने मोदी की ओर से पाक के क}जे वाले कश्मीर का जिक्र किए जाने पर कुछ कहने से इंकार किया है तो बलूचिस्तान पर मौन साध लिया है। पाकिस्तान की उपेक्षा और पाकिस्तानी सेना के दमन का शिकार बलूचिस्तान के हालात इतने अधिक खराब हैं कि वहां के लोग आजादी से कम पर राजी नहीं हैं। बलूचिस्तान रिप}िलकन पार्टी के प्रमुख और बलूचों के नेता बरहुमदाग बुगती ने कहा कि ऐसा कोई हफ्ता नहीं होता है जब बलूचिस्तान में लोगों की रहस्यमयी गुमशुदगी या अपहरण न होता हो। कुछ ही दिन बाद उनके शव मिलते हैं। बुगती ने बलूचिस्तान का मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ भी की। बुगती का कहना है कि पाकिस्तान का ध्यान बलूचिस्तान के डेरा बुगती और ग्वादर क्षेत्र पर है। यहां सेना के ठिकाने बनाए जा रहे हैं। लोगों में भय है कि इन ठिकानों का इस्तेमाल उनके दमन में होगा। हालांकि पाकिस्तानी सेना का एक बड़ा मकसद इस क्षेत्र में चीनी कंपनियां स्थापित करना है। चीन ग्वादर के जरिये एक अन्य समुद्री क्षेत्र में अपनी पहुंच बनाना चाहता है। बुगती की तरह यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में बलूचिस्तान के प्रतिनिधि मेहरान ने कहा है कि बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना के जुल्म बढ़ते जा रहे हैं। जबसे नवाज सरकार सत्ता में आई है तबसे पाकिस्तानी सेना ने बलूचिस्तान में अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं। मेहरान यह भी कहते हैं कि बलूचिस्तान के निवासियों के लिए चीन सबसे बड़ा खतरा है। एक अन्य बलूच नेता नाएला कादरी बलूच का कहना है कि पाक सेना मूल बलूच लोगों को सुनियोजित तरीके से खत्म कर रही है। बलूच नेता यह भी उम्मीद कर रहे हैं कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या फिर उनकी जगह कोई अन्य भारतीय प्रतिनिधि संयुक्त राष्ट्र संघ के आगामी सत्र में बलूचिस्तान में दमन का मसला उठाएगा। एक अन्य बलूच नेता हैदर बलूच का कहना है कि हम सब इस लड़ाई में मोदी का साथ देने को तैयार हैं। हम सब सेक्युलर लोग हैं और लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास रखते हैं। अभी यह देखना शेष है कि भारत की ओर से बलूचिस्तान का मसला उठाए जाने के बाद विश्व समुदाय क्या रवैया अपनाता है। यह एक मसला है जिसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अधिक महत्ता नहीं मिली है, लेकिन अमेरिका और ब्रिटेन के कुछ नेता और राजनयिक इस पर अपने विचार व्यक्त करते रहे हैं। बलूचिस्तान पर चीन के रवैये को भी देखना होगा, मोदी ने पाक के साथ-साथ उसे भी संदेश दिया है।
(लेखक रक्षा मामलों के विशेषज्ञ हैं)(DJ)

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