Monday 28 November 2016

बनने ही न दें ब्लैक मनी (जयंतीलाल भंडारी)

हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा कि भारत में बड़े नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए जरूरी है कि सरकार की मुट्ठियों में जो नया धन आया है उसका उत्पादक उपयोग हो और कालेधन के सृजन को खत्म करने की डगर पर आगे बढ़ा जाए। यद्यपि बड़े नोटों को रद्द किए जाने के बाद देश हित में आम नागरिक से लगाकर उद्योग और कारोबार के लोग परेशानियों का धैर्यपूर्वक सामना कर रहे हैं। लेकिन अब देश के करोड़ों लोगों की एक ही आवाज है कि सरकार को यह जो अप्रत्याशित लाभ एकबारगी हुआ है, वह बर्बाद नहीं हो। गौरतलब कि ब्रोकरेज फर्म ‘‘एडलवाइस सिक्योरिटीज’ के अनुमान के आनुसार सरकार ने हाई-वैल्यू करेंसी के जरिए काले धन पर जो तगड़ी चोट की है, उसके मद्देनजर करीब 3 लाख करोड़ रुपये सरकार के पास आएंगे। ये पैसे टैक्स से बचने के लिए छुपाकर रखे गए थे। इस तरह बाजार में कालेधन के रूप में प्रचलित करीब तीन लाख करोड़ रुपये की जो नकदी खत्म हो जाएगी, वह जीडीपी के 2 फीसद के बराबर है। इससे निवेश बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था की आपूत्तर्ि क्षमता बढ़ेगी। साथ ही मुद्रास्फीति की दर घटेगी। निश्चित रूप से बड़े नोटों को निरस्त करने से हुई राजस्व वृद्धि का प्रयोग सुनियोजित रूप से सही दिशा में किया जाना चाहिए। रकम का उपयोग हाईवे बनाने, मनरेगा के आवंटन में वृद्धि, सेना के लिए देश में आधुनिक हथियार निर्माण कार्य, रेलवे फ्रेट कॉरिडोर या एक्सप्रेस-वे जैसी बुनियादी परियोजनाओं में इस रकम का इस्तेमाल विभिन्न आर्थिक सुधारों की फंडिंग में किया जाना चाहिए। इन सबके साथ-साथ सरकार द्वारा इस राशि का एक बड़ा भाग गरीबों की कल्याण योजनाओं पर भी खर्च किया जाना चाहिए। इससे आम आदमी तक यह संदेश भी जाएगा कि अमीरों से अवैध धन लिया गया और वैध धन गरीबों को दे दिया गया। लेकिन बढ़े हुए राजस्व का उपयोग सरकारी खर्चो को पोषित करने में नहीं होना चाहिए। अब सरकार की कोशिश होनी चाहिए कि काले धन के सृजन को भीखत्म किया जाए। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशियल मैनेजमेंट का कहना है कि भारत में करीब 30 लाख करोड़ रुपये का काला धन है। ऐसे में उन तमाम रास्तों को बंद करने की रणनीति बनाई जाए, जिससे ब्लैक मनी को सफेद बनाना आसान हो जाता है। अब सरकार का अगला कदम कैश लेन-देन पर अंकुश लगाना होना चाहिए। काले धन की जांच से जुड़ी समिति के अध्यक्ष जस्टिस एम.बी. शाह के सुझावों के मद्देनजर अब इस दिशा में अगला कदम 5 लाख से ज्यादा के कैश के लेन-देन पर रोक लगाने का होना चाहिए। यानी कोई भी व्यक्ति नकद से 5 लाख रुपये तक का ही लेन-देन कर सके। इसके ज्यादा का लेन-देन वह नकद से नहीं कर पाए। इसके बाद ज्यादा का लेन-देन, बैंक चेक, ट्रैवल्स चेक, डिमांड ड्राफ्ट या अन्य तरीकों से किया जाए। यह बात ध्यान में रखी जानी होगी कि जो लोग अच्छी आय कमाने के बाद भी आयकर नहीं दे रहे हैं, वे आयकर के दायरे में लाए जाएं। देश में अभी कोई पांच करोड़ लोग आयकर अदा करते हैं। बड़े नोटों की बंदी के बाद पचास लाख से एक करोड़ नये आयकरदाता बढ़ाए जा सकते हैं। ज्यादा लोगों को आयकर दायरे में लाने और ई-भुगतान को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2017-18 के नए बजट में टैक्स छूट 2.50 लाख से बढ़ाकर तीन लाख की जानी चाहिए। सरकार द्वारा आयकर की चोरी करने वाले संभावित लोगों और सेक्टर की लिस्ट को भी अंतिम रूप दिया जाना चाहिए। सरकार ने एनएमएस यानी नॉन फाइलर्स मॉनिटरिंग सिस्टम के जरिए जिन 1.36 करोड़ लोगों की पहचान की है, उस सूची को भी अंतिम रूप दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही एनुअल इंफॉर्मेशन रिटर्न के आधार पर बड़े पैमाने पर छापेमारी की तैयारी भी की जानी चाहिए। काले धन की समस्या के समाधान के लिए टैक्स दरों में कटौती और सरकारी कर्मचारियों और नेताओं के भ्रष्टाचार पर नकेल कसना भी जरूरी है। अब देश में वित्तीय बचतों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। चूंकि काले धन में कमी आने से सोना और अचल संपत्ति में निवेश कम होगा, अतएव वित्तीय बचतों की संभावना बढ़ेगी। धन के प्रवाह की पुष्टि से भारत में वित्तीय बचत का आकार बहुत कम है। यह प्रयास करना होगा कि बैंकिंग पण्राली के जरिये लेन-देन साफ-सुथरी अर्थव्यवस्था की ओर बढ़े। केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय ई-ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास करना होंगे। इस समय सरकारी महकमों में ई-ट्रांजेक्शन पर जो शुल्क लगाया जा रहा है वह ग्राहकों से नहीं वसूला जाना चाहिए। डेबिट-क्रेडिट कार्ड यानी प्लास्टिक मनी को तेजी से प्रोत्साहित करने की रणनीति बनाई जानी चाहिए। चूंकि बाजार में करीब 87 फीसद लेन-देन नकद में होता है और मात्र 13 फीसद डिजिटल भुगतान का हिस्सा है, ऐसे में डिजिटल भुगतान संबंधी कमियों को पूरा करना होगा। देश में अभी 13 लाख प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) टर्मिनल हैं। इस बुनियादी ढांचे को कई गुना बढ़ाया जाना होगा। मार्च 2016 तक भारत में करीब 66 करोड़ डेबिट कार्ड चलन में हैं, इनमें से 87 फीसद डेबिट काडरे का इस्तेमाल एटीएम से केवल नकद निकासी के लिए ही हो रहा है। देश में क्रेडिट कार्ड केवल 2.3 करोड़ ही हैं। ऐसे में डेबिट और क्रेडिट कार्ड के बारे में जागरूकता अभियान चलाकर इन्हें लोकप्रिय बनाया जाना जरूरी होगा। काले धन के सृजन को खत्म करने के मद्देनजर चुनाव में भी काले धन के प्रयोग को कठोरतापूर्वक रोकना होगा। यद्यपि पिछले कुछ वर्षो के दौरान चुनाव आयोग ने चुनाव में धन के इस्तेमाल को नियंत्रित करने की कोशिश की है। लेकिन जरूरी है कि उम्मीदवार और राजनीतिक दलों के खर्च पर और अधिक ध्यान दिया जाए। ऐसा होने पर ही जहां काले धन पर नियंतण्रहो सकेगा, वहीं काले धन के सृजन को खत्म करने पर भी तेजी से कदम बढ़ेंगे।(RS)

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