Monday 28 November 2016

नोटबंदी की आलोचना के चार आधारों की हकीकत (दिवाकर झुरानी,) (फ्लेचरस्कूल ऑफ लॉ एंड डिप्लोमेसी टफ्ट यूनिवर्सिटी, अमेरिका)

नोटबंदी कीचार प्रमुख आधारों पर आलोचना हो रही है। आइए उनका विश्लेषण करें :
1.एक, हजार रुपए का नोट बंद करके दो हजार का नोट क्यों लाए : भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। 2001 में पांच सौ और हजार के नोटों की चलन में हिस्सेदारी 30 फीसदी थी, जो 2015 में 86 फीसदी हो गई। आर्थिक वृद्धि के कारण लेन-देन में आसानी के लिए बड़े नोट जरूरी हुए। बड़े नोटों को छापने में लागत भी कम आती है।
2. नोटबंदी के बाद लंबी कतारें लगीं, व्यापक उथल-पुथल मच गई: भारत में एक लाख लोगों पर व्यावसायिक बैंकों की 13 शाखाएं हैं। यदि 30 दिसंबर तक बैंक के रोज के 10 घंटे गिने और एक परिवार से एक सदस्य बैंक में जाए तो उसे कतार में लगे बिना बैंक व्यवहार के लिए औसतन 20 मिनट मिलेंगे। किंतु समस्या तो है, जो क्रमश: कम होती जाएगी।
3. नकदी के अभाव में रोजंदारी पर काम करने वाले श्रमिक और छोटे व्यापारी मुश्किल में गए : यदि मनरेगा में काम करने वाला श्रमिक चेक मंे वेतन ले सकता है तो निर्माण कार्य में लगा मजदूर या मैरिज कैटरर क्यों नहीं ले सकता? हालांकि, कुछ लोगों के लिए यह नामुमकिन है। नोटबंदी के पहले 500 और 1000 की कैश वैल्यू 86 फीसदी थी। यानी 14 फीसदी नकदी अब भी छोटे नोटों के रूप में बाजार में मौजूद है। यदि इन्हें परिवारों में समान रूप से बांट दिया जाए तो प्रत्येक परिवार को 9 हजार रुपए मिलेंगे। सही है कि हर किसी के पास इतने छोटे नोट नहीं होते, लेकिन इतने नोट देश में मौजूद तो हैं। संकट के कारण इनके चलन मंे और तेजी आएगी।
4. आम आदमी जो पैसा बैंकों में जमा करेगा वह लोन चुकाने वाले बड़े कॉर्पोरेट घरानों की फंडिंग में जाएगा : बैंक में जमा पैसा कभी भी निकाला जा सकता है। बैंक मांगने पर यह पैसा देने के लिए बाध्य हैं। ऊपर बताए आंकड़ें जमीनी हकीकत ठीक से बयान नहीं करते, लेकिन अर्थव्यवस्था की क्षमता पता चलती है, जिसे नागरिक मिलकर साकार कर सकते हैं। सही है कि इससे काला धन खत्म नहीं होगा, लेकिन कदम गलत होता है तो काले धन के खिलाफ लड़ाई कमजोर पड़ जाएगी।
स्पष्टीकरण :-
यह आलेख दैनिक भास्कर से लिया गया है.इस आलेख को यहाँ डालने का केवल इतना मतलव है कि आपको ऐसे प्रश्नों के उत्तर देने हेतु उचित कंटेंट मिल सकें.जहाँ तक नोटबंदी के फायदे की बात है इसमें आप भी बहुत कुछ जोड़ सकते हैं ,इसी तरह नोटबंदी के नुक्सान के बारे में भी कंटेंट लिखा जा सकता है. दोनों पहलुओं को मिला कर आप खुद का विश्लेष्णात्मक आलेख तैयार कर सकते हैं.

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