Monday 28 November 2016

मन की बात : उम्मीद युवाओं के भरोसे (नरेन्द्र मोदी)

राष्ट्र को 8 नवम्बर को संबोधित करते हुए मैंने सबके सामने कहा था कि निर्णय सामान्य नहीं है, कठिनाइयों से भरा होगा। लेकिन निर्णय जितना महत्त्वपूर्ण है, उतना ही उस निर्णय को लागू करना है। और मुझे ये भी अंदाजा था कि हमारे सामान्य जीवन में अनेक प्रकार की नई-नई कठिनाइयों आएंगी और उनका सामना करना पड़ेगा। और तब मैंने कहा था कि निर्णय इतना बड़ा है, इसके प्रभाव से बाहर निकलने में 50 दिन तो लग ही जाएंगे। और तब जाकर के सामान्य अवस्था की ओर हम कदम बढ़ा पाएंगे। 70 साल से जिस बीमारियों को हम झेल रहे हैं, उस बीमारियों से मुक्ति का अभियान सरल नहीं हो सकता है। आपकी कठिनाइयों को मैं भली-भांति समझ सकता हूं। लेकिन जब मैं आपका समर्थन देखता हूं, आपका सहयोग देखता हूं; आपको भ्रमित करने के लिए ढेर सारे प्रयास चल रहे हैं, उसके बावजूद कभी-कभी मन को विचलित करने वाली घटनाएं सामने आते हुए भी, आपने सच्चाई के इस मार्ग को भली-भांति समझा है, देशहित की बात को स्वीकार किया है। पूरा विश्व इस बात को देख रहा है कि हिंदुस्तान के सवा-सौ करोड़ देशवासी कठिनाइयां झेल करके भी सफलता प्राप्त करेंगे क्या! विश्व के मन में शायद प्रश्नचिह्न हो सकता है! लेकिन बुराइयां इतनी फैली हुई हैं कि आज भी कुछ लोगों की बुराइयों की आदत जाती नहीं है। अभी भी कुछ लोगों को लगता है कि ये भ्रष्टाचार के पैसे, ये काले धन, ये बेहिसाबी पैसे, ये बेनामी पैसे, कोई-न-कोई रास्ता खोज करके व्यवस्था में फिर से ला दूं। वो अपने पैसे बचाने के फिराक में गैरकानूनी रास्ते ढूंढ रहे हैं। दुख की बात ये है कि इसमें भी उन्होंने गरीबों का उपयोग करने का रास्ता चुनने का पसंद किया है। गरीबों को भ्रमित कर, लालच या पल्रोभन की बातें करके, उनके खातों में पैसे डाल करके या उनसे कोई काम करवा के, पैसे बचाने की कुछ लोग कोशिश कर रहे हैं। ऐसे लोगों से आज कहना चाहता हूं-सुधरना, न सुधरना आपकी मर्जी, कानून का पालन करना, न करना आपकी मर्जी, वो कानून देखेगा क्या करना? लेकिन मेहरबानी करके आप गरीबों की जिंदगी के साथ मत खेलिए। आप ऐसा कुछ न करें कि रिकॉर्ड पर गरीब का नाम आ जाए और बाद में जब जांच हो, तब मेरा प्यारा गरीब आपके पाप के कारण मुसीबत में फंस जाए। और बेनामी संपत्ति का इतना कठोर कानून बना है, जो इसमें लागू हो रहा है, कितनी कठिनाई आएगी। कुछ बातें मीडिया के माध्यम से, लोगों के माध्यम से, सरकारी सूत्रों के माध्यम से जानने को मिलती हैं, तो काम करने का उत्साह भी बहुत बढ़ जाता है। इतना आनंद होता है, इतना गर्व होता है कि मेरे देश में सामान्य मानव का क्या अद्भुत सामर्य है। इस अभियान का कुछ लोगों को तत्काल लाभ मिल गया है। ये जो बड़े लोग होते हैं न, जिनकी पहुंच होती है, जिनको पता है कि कभी भी उनको कोई पूछने वाला नहीं है, वो ही पैसे नहीं देते हैं। हर नगरपालिका को कर का मुश्किल से 50 फीसद आता है। लेकिन इस बार 8 तारीख के इस निर्णय के कारण सब लोग अपने पुराने नोट जमा कराने के लिए दौड़ गए। 47 शहरी इकाइयों में पिछले साल इस समय करीब तीन-साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये कर आया था। आपको जान कर आश्र्चय होगा, आनंद भी होगा- इस एक सप्ताह में उनको 13 हजार करोड़ रुपये जमा हो गया। लेकिन इस निर्णय के कारण व्यापारी वर्ग को भी कठिनाई होना स्वाभाविक था। लेकिन मैंने देखा है कि अब तो हमारे इन छोटे-छोटे व्यापारी भी तकनीक के माध्यम से, मोबाइल ऐप के माध्यम से, मोबाइल बैंक के माध्यम से, क्रेडिट कार्ड के माध्यम से, अपने-अपने तरीके से ग्राहकों की सेवा कर रहे हैं, विास के आधार पर भी कर रहे हैं। और मैं अपने छोटे व्यापारी भाइयों-बहनों से कहना चाहता हूं कि मौका है, आप भी डिजिटल दुनिया में प्रवेश कर लीजिए। मैं आप को निमंतण्रदेता हूं कि नकदरहित समाज बनाने में आप बहुत बड़ा योगदान दे सकते हैं, आप अपने व्यापार को बढ़ाने में, मोबाइल फोन पर पूरी बैंकिंग व्यवस्था खड़ी कर सकते हैं और आज नोटों के सिवाय अनेक रास्ते हैं, जिससे हम कारोबार चला सकते हैं। तकनीक रास्ते हैं, सुरक्षित है, विश्वसनीय है और त्वरित है। मजदूर भाइयों-बहनों को भी कहना चाहता हूं, आप का बहुत शोषण हुआ है। कागज पर एक पगार होता है और जब हाथ में दिया जाता है, तब दूसरा होता है। कभी पगार पूरा मिलता है, तो बाहर कोई खड़ा होता है, उसको अपने हिस्से से काटकर देना पड़ता है और मजदूर मजबूरन इस शोषण को जीवन का हिस्सा बना देता है। इस नई व्यवस्था से हम चाहते हैं कि आपका बैंक में खाता हो, आपके पगार के पैसे आपके बैंक में जमा हों, ताकि न्यूनतम मजदूरी का पालन हो। इसलिए मैं मजदूर भाइयों-बहनों को इस योजना में भागीदार बनने के लिए विशेष आग्रह करता हूं, क्योंकि आखिरकार इतना बड़ा मैंने निर्णय देश के गरीब के लिए, किसान के लिए, मजदूर के लिए, वंचित के लिए, पीड़ित के लिए लिया है। मेरे नौजवान दोस्तों, आप एक काम कीजिए, आज से ही संकल्प लीजिए कि आप स्वयं नकदरहित समाज के लिए खुद एक हिस्सा बनेंगे। आपके मोबाइल फोन पर ऑनलाइन खर्च करने की जितनी तकनीक है, वो सब मौजूद होगी। इतना ही नहीं, हर दिन आधा-घंटा, घंटा, दो घंटा निकाल करके कम-से-कम 10 परिवारों को आप इस तकनीक के बारे में बता सकते हैं। आप स्वेच्छा से इस नकदरहित समाज, इन नोटों के चक्कर से बाहर लाने का महाभियान, देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने का अभियान, काला धन से मुक्ति दिलाने का अभियान, लोगों को कठिनाइयों-समस्याओं से मुक्त करने का अभियान-इसका नेतृत्व करना है आपको। एक बार लोगों को तकनीक का उपयोग कैसे हो, ये आप सिखा देंगे, तो गरीब आपको आशीर्वाद देगा। सामान्य नागरिकों को ये व्यवस्थाएं सिखा दोगे, तो उसको तो शायद सारी चिंताओं से मुक्ति मिल जाएगी और ये काम अगर हिंदुस्तान के सारे नौजवान लग जाएं, मैं नहीं मानता हूं, ज्यादा समय लगेगा। (मन की बात के संपादित अंश) (RS)

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