Friday 1 December 2017

सऊदी अरब में सुधार या सत्ता की राजनीति? (मुजफ्फर हुसैन )

एशिया में सबसे शक्तिशाली और धनाढ्य रहे हैं सऊदी अरब के शहंशाह सलमान लेकिन, आज उनका सिंहासन डोल रहा है। कच्चे तेल के भंडारों के बल पर एशिया में उनकी आवाज आज भी बुलंद है लेकिन, उनके साम्राज्य को घुन लगने जैसी स्थिति है। उनके शाही परिवार के एक सदस्य ने बगावत का बिगुल बजाया है। इसके जो भी नतीजे होंगे, वे तो होकर रहेंगे पर इसके कारण दुनिया में तेल संकट खड़ा हो जाए तो आश्चर्य की बात नहीं।
रियाद से रही खबरों से पता चलता है कि वहां सब कुशल-मंगल नहीं है। पारिवारिक सत्ता को तो परिवार के भीतर से ही चुनौती मिलती है। इसमें एक शहजादा दूसरे शहजादे के खिलाफ बगावत करे तो इसमें आश्चर्य जैसी कोई बात नहीं है। 20वीं और 21वीं सदी में उत्तरोत्तर हर देश में लोकतंत्र मजबूत होता गया है। इसके विपरीत एशिया के अरब देशों में शाहजादों, शेखों और बादशाहों की हुकूमत चलती रही है। ईरान में भी लंबे समय तक शाही घराने ने सत्ता का लुत्फ उठाया। पश्चिम एशिया में अरब बादशाहों और शेखों का वर्चस्व रहा है। सऊदी अरब के बादशाह संपत्ति के बल पर तेवर दिखा रहे हैं। कुवैत और आबुधाबी के शेख और ईरान के शाह भी शाही सत्ता के बल पर विलासी जीवन जीते रहें। लेकिन, अब वक्त बदल गया है। लोकतंत्र के तूफान में उनके साम्राज्य खत्म हो गए। इन सबमें सबसे शक्तिशाली और धनाढ्य हैं सऊदी अरब के बादशाह। 11 शहजादों को सलाखों के पीछे जाना पड़ा है। इनमें मध्यपूर्व के वॉरेन बफे कहलाने वाले अलवालीद बिन तलाला का भी नाम है। दुनिया के लिए तलाला नए नहीं हैं। बिल गेट्स से लेकर रूपर्ट मर्डोक और माइकल ब्लूमबर्ग जैसी कॉर्पोरेट जगत की हस्तियों से उनके रिश्ते हैं। कहा जाता है कि उनके पास 19 अरब डॉलर की विशाल संपत्ति है। इसके हिसाब से वे दुनिया के 50वें सबसे रईस व्यक्ति हैं। शहजादे तलाला रियाद स्थित निवेश कंपनी किंगडम होल्डिंग के संस्थापक हैं।
इस तरह की घटनाओं से सऊदी अरब की तेल कीमतों में उतार-चढ़ाव आता रहता है। सऊदी अरब में इन गिरफ्तारियों के पहले बादशाह सलमान ने भ्रष्टाचार विरोधी समिति गठित की थी। 32 वर्षीय क्राउन प्रिंस सलमान बिन मोहम्मद इस समिति का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्हें शाही परिवार में प्रगतिशील विचाराधारा का जनक माना जाता है। इन मामलों में जिन लोगों को बंदी बनाया गया है, उसे समाज हित में माना जा रहा है। इसके कारण मंत्रिमंडल में भी परिवर्तन हुअा है। राजनीतिक वातावरण में भी बदलाव के संकेत हैं। यह परिवर्तन क्रांतिकारी है और इससे इस्लामी कट्‌टरता घटने का अनुमान है। वहां महिलाओं को कार चलाने की अनुमति इसका ताजा उदाहरण है। 2030 तक अर्थव्यवस्था में निवेश को मजबूत करने की योजना है। इसके साथ सऊदी अरब को तेल आधारित अर्थव्यवस्था से मुक्त करने का इरादा है। इसके कारण प्रस्ताव का तीव्र विरोध हो सकता है। क्राउन प्रिंस सलमान की ताकत बढ़ रही है। लगातार सुधार चलने से जनमत उनके पक्ष में है। तख्तापलट की भावना बलवती हो रही है। ऐसी स्थिति में जिन लोगों की ओर से चुनौती मिल सकती है उन्हें ठिकाने लगाया जा रहा है। सलमान के भाई मोहम्मद बिन नाइफ को कुछ समय पूर्व गृहमंत्री के पद से हटाया गया है।
कभी राजगद्‌दी के दावेदार राजकुमार मितेब बिन अब्दुल्ला को भी हिरासत में लिया गया है। वे रक्षा मंत्री थे। वे बादशाह सलमान के पूर्व शहंशाह रहे अब्दुल्ला के बेटे हैं। वित्त मंत्री अब्दुल फकीह जेल में बंद हैं। जेल में भेजे गए अन्य लोगों में रियाद के पूर्व गवर्नर और शाही अदालत के प्रमुख रहे खालिद अल तुवाईजिलो भी शामिल हैं। सऊदी बिन लादेन निर्माण समूह के चेअरमैन बक बिन लादेन को भी भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। एमबीसी टीवी नेटवर्क के मालिक अल वलीद अल अब्राहिम भी बंदी बना लिए गए हैं।
यह प्रकरण यही पर नहीं थमा। 11 शहजादों और शाही परिवार के अन्य 38 व्यक्तियों को रियाद के नज़दीक रिट्ज कार्लटन पांच सितारा होटल में नज़रबंद रखा गया है। इनमें कई महिलाएं भी शामिल हैं। इनसे मोबाइल ले लिए गए हैं और कौन,कहां है इसका किसी को ही पता नहीं है। राजधानी रियाद में सन्नाटा छाया है। विदेशी पत्रकारों को या तो देश छोड़ने को कहा गया है अथवा बिना इजाजत कुछ भी लिखने की अनुमति नहीं है। इसके बाद भी स्थिति स्पष्ट नहीं ै। सवाल यह है कि सऊदी अरब में वास्तविक परिवर्तन हो रहा है अथवा सत्ता में बैठे लोग सबको अपने नियंत्रण में लेकर परिवर्तन का नाटक कर रहे हैं। सऊदी अरब के प्रसार माध्यमों पर कड़ी पाबंदी है। इसलिए दुनिया को वहां की वास्तविक स्थिति का पता नहीं लग रहा है। सऊदी अरब के बाजार से अखबार गायब हैं। रियाद के यमामा महल में एक बैठक हुई। इसमें सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था तथा मौजूदा स्थिति पर विचार-विमर्श हुआ। इसमें किसी भी शहजादे की मौत होने अथवा देश छोड़कर भागने का खंडन किया गया। पूर्व बादशाह फहद के बेटे के मारे जाने का भी खंडन किया गया। बलपूर्वक कहा गया कि कोई शहजादा ईरान नहीं भागा है। एक खबर के मुताबिक इस सारे घटनाक्रम से सऊदी शहजादे अल वलीद बिन तलाला को चल-अचल संपत्ति में 600 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। तलाल अपनी कंपनी में सबसे अधिक महिलाओं को नौकरी देने के लिए प्रसिद्ध रहे हैं। उनकी कंपनी में कुल 62,400 करोड़ रुपए का निवेश है।
क्राउन प्रिंस सलमान का भ्रष्टाचार विरोधी अभियान चाहे वास्तविक हो पर मूलत: यह सत्ता की राजनीति का परिणाम है। ऐसा माना जाता रहा है कि मुफ्त शिक्षा स्वास्थ्य के बदले सऊदी जनता ने राजनीतिक अधिकार छोड़ दिए हंै पर इस वक्त 40 फीसदी युवा बेरोजगार हैं। जो 15 हजार युवा विदेश में पढ़ने गए हैं उन्होंने लौटने से इनकार कर दिया है। सलमान को उम्मीद है कि विदेशी निवेश के साथ आने वाला टेक्नोलॉजी ट्रांसफर नौकरी की समस्या हल कर देगा। जापान के सॉफ्टबैंक ने 100 अरब डॉलर के निवेश का वादा किया है। लेकिन, अमेरिकी समर्थन से उत्साहित सलमान ने ईरान से टकराव के चलते मध्यपूर्व का माहौल गरमाया तो निवेश रुक सकता है। तब बेरोजगार युवा लोकतंत्र की मांग कर सकते हैं। (येलेखक के अपने विचार हैं।)(DB)

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