Wednesday 27 December 2017

नया दौर मल्टी मॉडल इलेक्ट्रिक वाहनों का (भाविश अग्रवाल ) (को-फाउंडरएवं सीईओ, ओला )


इस बातमें कोई संदेह नहीं कि भारत दुनिया की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से है। विकास के ताने-बाने में गतिशीलता महत्वपूर्ण सूत्र है। हमारे देश की आवाजाही की जरूरतें अनूठी हैं। हमारे यहां कार ओनरशिप कम है और परिवहन का बुनियादी ढांचा पिछले दो दशकों में तेजी से हो रहे शहरीकरण के साथ नहीं बढ़ सका है। अब जब ऑटोरिक्शा और टैक्सी जैसे मौजूदा विकल्प टेक्नोलॉजी का फायदा उठाने के लिए ओला के प्लेटफॉर्म पर गए हैं, तो परिवहन का भविष्य ट्रैफिक जाम, प्रदूषण और सबसे महत्वपूर्ण घर से गंतव्य तक एक ही प्लेटफॉर्म पर समाधान देने में है। 2017 इस अर्थ में घटनापूर्ण रहा कि लाखों भारतीयों ने राइड शेयरिंग और शेयर्ड मोबिलिटी के जादू का पहली बार अनुभव लिया। इससे किफायती परिवहन सुविधा 10 करोड़ से ज्यादा लोगों की पहुंच के दायरे में गई।
अब लोगों के पास जरूरत उपयोग के अनुसार ऑटो रिक्शा से बस और लग्ज़री कार की सवारी तक के विकल्प हैं। शेयर्ड मोबिलिटी प्लेटफॉर्म का एक वाहन 10 से 44 कारों को सड़क से हटा देता है। वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टिट्यूट के मुताबिक अकेले ओला की शेयर्ड मोबिलिटी ने 80 लाख लीटर ईंधन, 1.40 करोड़ किलोग्राम कार्बन डायऑक्साइड उत्सर्जन घटाया है।
दस लाख से ज्यादा ड्राइव पार्टनर और साल में करोड़ों राइड के साथ जो डेटा इकट्‌टा होता है उससे अंतर्दृष्टि लेकर बेहतर शहरी नियोजन और बुनियादी ढांचे का अधिकतम संभव इस्तेमाल किया जा सकता है। सड़क का जो बुनियादी ढांचा हमारे यहां है वह लगातार एक जैसा बना हुआ है। इसी के साथ आसन्न समस्या है मास ट्रांजिट के साथ राइड शेयरिंग को जोड़ने की। हमने एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बस टर्मिनल, अस्पताल और मॉल जैसे ऊंची डिमांड के क्षेत्रों में इनोवेशन किए हैं।
जहां तक राइड शेयरिंग से भविष्य में शहरी परिवहन के तय होने की बात है तो भारत की जरूरतें ऐसी हैं कि कोई भी एक समाधान सबको सेवा नहीं दे सकता। बड़े शहरों और छोटे कस्बों की अपनी भिन्न जरूरतें हैं। बड़े शहरों में भी किस तरह के परिवहन का इस्तेमाल होगा यह उपयोग, उपलब्धता और कीमत से तय होगा। प्लेटफॉर्म आधारित परिवहन नई सुविधा देने के साथ ही ऑटोरिक्शा, बस, टैक्सी जैसे मौजूदा साधनों में सुधार में भी मददगार है। शहरी भारत में हर दिन 30 करोड़ ट्रिप लगती हैं और प्रत्येक यात्रा के अनुभव को नई टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से बदला जा सकता है।
लोगों को लाने-ले जाने के कई तरीके हो सकते हैं और इसलिए यह सही है कि यूरोप या अमेरिका की तुलना में भारत में परिवहन का भविष्य एकदम अलग हो सकता है। यूरोप-अमेरिका में कार की ओनरशिप बहुत ज्यादा है और इसलिए उसका अधिकतम इस्तेमाल जरूरी है। भारत में रचनात्मक परिवहन समाधान राष्ट्रीय निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। भविष्य में टेक्नोलॉजी की मदद से लोगों के लिए परिवहन का टिकाऊ ढांचा निर्मित किया जा सकता है। इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे नए आयाम भी खुल रहे हैं। इसका भी बहुत गहरा असर होगा।
तेजी से बढ़ते शहरीकरण को देखते हुए लोकल मेट्रो रेल सेवाएं व्यावहारिक समाधान है। शहरी रिहायशी इलाकों और केंद्रीय क्षेत्रों के बीच सुगम परिवहन व्यवस्था से आबादी का घनत्व कम होकर वह अपेक्षतया दूर के हिस्सों में फैलेगी। इससे रियल इस्टेट की कीमतों पर भी असर पड़ेगा। इस जरूरत को समझते हुए हमने मेट्रो रेल संगठनों से अंतिम बिंदु तक सेवा देने के लिए भागीदारी भी की है।
जहां शहरों के बीच लंबी दूरी की बात है लंबे समय से हवाई यात्रा का प्रभुत्व है लेकिन, अब एयर टैक्सी का विचार रहा है। टेक्नोलॉजी छलांगे मार रही है और किसी भी साधन का मौजूदा प्लेटफॉर्म के कुशल उपयोग से दोहन करना चाहिए। ओला आउटस्टेशन जैसी सुविधा से हजार शहरों कस्बों को समानांतर प्लेटफॉर्म से जोड़ा जा सकता है पर शहरों के बीच अधिक तेज कुशल समाधान की काफी संभावना है। कई शहरों में तो एयरपोर्ट से शहर के केंद्र तक पहुंचने में ढाई घंटे तक लग जाते हैं। निकट भविष्य में शेयर्ड टैक्सी की तर्ज पर शेयर्ड हेलिकॉप्टर सेवा से यह समय घटाया जा सकता है। लेकिन, ऐसी किसी पहल को संभव बनाने के लिए सरकार और निजी क्षेत्र दोनों को साथ आना होगा।
इलेक्ट्रिक वाहन भी अच्छी संभावना है, क्योंकि यह प्रदूषण जैसी समस्या ा समाधान देते हैं। इससे कच्चे तेल पर हमारी निर्भरता भी घटेगी। इसलिए हमने पहला मल्टीमॉडल इलेक्ट्रिक वाहन प्लेटफॉर्म बनाया है जिसमें इलेक्ट्रिक बसें, ई-कैब रिक्शा हैं। नागपुर में इसका उद्‌घाटन मई 2017 में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने किया। यह सफल रहा और इसे देश के अन्य शहरों में भी शुरू किया जाना है। हम आगामी दशक में शत-प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहनों के सरकार के मिशन के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। (DB)

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