Saturday 23 December 2017

पाक का हताशा में परमाणु युद्ध पैंतरा (रमेश नैयर) (Dainik tribune)


कट्टरपंथी आतंकवादियों के जुनून के सामने बेबस पाकिस्तान दक्षिण एशिया में परमाणु युद्ध भड़कने का हौवा खड़ा कर रहा है। भारत, ईरान, अफगानिस्तान और अमेरिका तक हो रही दहशतगर्द हिंसा की वारदातों के तार पाकिस्तान से जुड़े हुए पाए गये हैं। यहां तक कि वे देश भी जो इससे प्रभावित हैं, बीते कुछ वर्षों से पाकिस्तान के प्रति मैत्री भाव जताते आ रहे हैं। रूस के कान भी पिछले हफ्ते अमेरिकी गुप्तचर एजेंसी सीआईए द्वारा दी गई महत्वपूर्ण जानकारी से खड़े हो गये। उस जानकारी के कारण रूस एक बड़ी आतंकी वारदात को टालने में सफल हो सका। इसके लिए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने डोनाल्ड ट्रम्प को व्यक्तिगत तौर पर धन्यवाद भी दिया। भू-सामरिक रणनीति के तहत रूस और चीन एक-दूसरे के बहुत निकट हैं। इसी रणनीति के तहत चीन के लिए पाकिस्तान की कुछ उपयोगिता है। लेकिन पाकिस्तान में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण पिछले हफ्ते चीन ने एक बड़ी आर्थिक सहायता को रोक दिया। यह भी पाकिस्तानी हताशा का एक कारण है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने तो इधर पाकिस्तान की मुश्कें ही कस दी हैं। ट्रम्प ने दो टूक कह दिया कि अफगानिस्तान में इस्लामी दहशतगर्दी रोकने में पाकिस्तान से जो उम्मीद की गई थी, वह रत्तीभर भी पूरी नहीं हो पाई। लगे हाथ अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि अफगानिस्तान में भारत द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाने पर उन्हें भरोसा है। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की पहली घोषणा ने पाकिस्तान के जले पर नमक छिड़कने से कोई गुरेज नहीं किया। इस रणनीति में भारत को अतिरिक्त महत्व दिया गया है। अफगानिस्तान में भारत से महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की अपेक्षा की गई है। भारत के नीति निर्माता और रणनीतिकार निश्चय ही जानते होंगे कि किस सीमा तक अमेरिकी अपेक्षाओं को पूरा करने का यत्न किया जाए।
भारत को इस तथ्य को भी ध्यान में रखना होगा कि ईरान के साथ अमेरिका के रिश्ते अच्छे नहीं हैं, जबकि हमारे लिए ईरानी मित्रता का विशेष महत्व है। हाल ही में भारत के सक्रिय सहयोग से ईरान में बना चाबहार बंदरगाह भारत के लिये बहुत उपयोगी है। उसके अगले चरण के निर्माण को तीव्र गति देना भारत के हितों के विस्तार में सहायक होगा। पहले ही स्पष्ट हो चुका है कि इस बंदरगाह से होकर भारत अपनी व्यापारिक और सामरिक उपस्थिति अफगानिस्तान में बढ़ा ही सकेगा, उससे एशिया एवं अन्य देशों के लिए भी नई राह मिलेगी।
इन संभावनाओं ने भी पाकिस्तान की भारत के प्रति तल्खी में इजाफा किया है। पाकिस्तान की अतिरिक्त चिंता का सबब उसकी भीतरी राजनीतिक अस्थिरता बन चुकी है। लोकतंत्र का गला वहां की फौज तो पहले से ही घोंट रही थी, लेकिन हाफिज सईद और अन्य आतंकवादी सरगनाओं के दबाव से उसका दम फूल रहा है। सिंध के हिन्दुओं और सीमा प्रांत में सिखों के जबरिया धर्मांतरण से भारत का चिंतित होना स्वाभाविक है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने खैबर-पख्तूनवा में पाकिस्तानी अफसरशाही द्वारा सिखांे को जबरिया इस्लाम कुबूल करवाने के लिए डाले जा रहे दबाव के खिलाफ पाकिस्तान से बात करने का निर्णय लिया है। पाकिस्तानी सिखों द्वारा शिकायत की गई है कि ताल तहसील का असिस्टेंट कमिश्नर याकूब उन पर मुसलमान बनने के लिए दबाव बना रहा है, इस घटना की प्रतिक्रिया हमारे पंजाब में भी हुई है। सिख समुदाय के प्रतिनिधियों के अलावा मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह द्वारा इस पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है, कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन सहित अनेक देशों में रह रहे सिखों में इससे आक्रोश उत्पन्न हुआ है। कनाडा में सिख समुदाय पर्याप्त प्रभावशाली है। वहां रक्षामंत्री के अलावा तीन अन्य मंत्री सिख हैं, उनके दबाव से पाकिस्तान सरकार परेशानी महसूस कर रही है।
सिखों के अलावा ईसाई समुदाय भी पाकिस्तान में लगातार उत्पीड़ित हो रहा है। वहां आए दिन ईसाई नागरिकों और उनके गिरजाघरों पर आतंकी हमले होते रहते हैं। पिछले सप्ताह के अंत में एक चर्च पर बड़ा हमला हुआ, जिससे जान,माल की भारी क्षति हुई। पश्चिमी देशों में इन घटनाओं की तीखी प्रतिक्रिया होती है। अमेरिकी राष्ट्रपति तो इससे आग बबूला होकर वाणी का संयम खोते हुए यहां तक कह बैठे कि मुसलमान सबसे बड़ा खतरा बन गए हैं। अमेरिका द्वारा इस्लामी बिरादरी के सबसे समृद्ध देश सऊदी अरब के माध्यम से भी पाकिस्तान पर दबाव डलवाया जा रहा है। चौतरफा भर्त्सनाओं और दबावों से बौखलाई पाकिस्तान सरकार को न भीतर चैन है और न ही बाहर कोई सुकून। इससे पाकिस्तान हताश है। मंगलवार को पाकिस्तानी हताशा उसके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नसीर खान जंजुआ की इस धमकी से फूट पड़ी कि दक्षिण एशिया में परमाणु युद्ध भड़कने की प्रबल संभावना है। लेफ्टिनेंट जनरल जंजुआ ने नाभिकीय युद्ध भड़क उठने का हौवा खड़ा करते हुए यहां तक कह दिया कि यह खतरा अटकलों के मचान से उतरकर हकीकत की जमीन तक पहुंच गया है। जंजुआ के शब्दों में दक्षिण एशिया क्षेत्र की स्थिरता बहुत नाजुक दौर में पहुंच चुकी है और परमाणु युद्ध भड़क उठने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। इस खतरे का ठीकरा भारत के सिर पर फोड़ते हुए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहिद खान अब्बासी के सुरक्षा सलाहकार जंजुआ ने लगे हाथ यहां तक कह दिया कि अमेिरकी संरक्षण में भारत बेहद खतरनाक हथियारों का जखीरा जुटा चुका है। इससे पूरे क्षेत्र में खतरनाक हालात पैदा हो गये हैं। जंजुआ के अनुसार दक्षिण एशिया में चीन और रूस के प्रभाव को कम करने के लिए अमेरिका द्वारा भारत को घातक हथियारों से लैस किया जा रहा है।
पाकिस्तान द्वारा दक्षिण एशिया में परमाणु युद्ध भड़क उठने का हौवा खड़ा करने का बुनियादी मकसद है अमेरिकी चिंता में इजाफा करना क्योंकि डोनाल्ड ट्रम्प, उत्तर कोरिया के सनकी तानाशाह किम जोंग उन की परमाणु मिसाइलों और परमाणु बम के परीक्षणों से पहले ही बेचैन हैं। उन्हें मालूम है कि उत्तर कोरिया को परमाणु शक्ति से लैस करने में पाकिस्तान की बड़ी भूमिका रही है। इसलिए अमेरिका को इस बात का भी पूरा एहसास होगा कि जंजुआ के बयान के बहाने पाकिस्तान उसकी दुखती रग पर हाथ रख रहा है। लेकिन इससे पाकिस्तान को कुछ हासिल होने वाला नहीं है। न ही इससे दुनिया की सिरमौर सामरिक शक्ति बनने का अमेरिकी संकल्प भी रत्तीभर प्रभावित होने वाला है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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