Wednesday 18 May 2016

चुंबकीय क्षेत्रों का मिलन (मुकुल व्यास )

अधिकांश लोग पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के बारे में नहीं सोचते। वे संभवत: इस बात से अनभिज्ञ हैं कि जिस तरह हवा, पानी और प्रकाश के बिना पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है, उसी तरह चुंबकीय क्षेत्र के बगैर भी पृथ्वी पर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। चुंबकीय क्षेत्र एक अदृश्य कवच है जो सूरज के चुंबकीय क्षेत्र से पृथ्वी की रक्षा करता है। सूरज का चुंबकीय क्षेत्र सूरज की बाहरी परतों से ऊर्जावान कणों को बाहर की तरफ प्रवाहित करता है। दो चुंबकीय क्षेत्रों के मिलन से पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष में विस्फोटक तूफान उत्पन्न होते हैं जो पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से मिली सुरक्षा के बावजूद हमारे उपग्रहों को ठप कर सकते हैं और पृथ्वी की सतह पर दूसरी तरह की समस्याएं पैदा कर सकते हैं। अमेरिका की मेरीलैंड यूनिवर्सिटी के भौतिकविदों ने नासा के मैग्नेटोस्फेरिक मल्टीस्केल (एमएमएस) मिशन से प्राप्त आंकड़ों का विस्तृत अध्ययन किया है। इसमें पृथ्वी और सूरज के चुंबकीय क्षेत्रों पर विस्तार से रोशनी डाली गई है। वैज्ञानिकों ने अपने शोधपत्र में चुंबकीय पुनर्मिलन अथवा मैग्नेटिक रिकनेक्शन प्रक्रिया का ब्यौरा दिया है, जिसका पर्यवेक्षण पहली बार प्रत्यक्ष रूप से किया गया है। यह प्रक्रिया उस समय उत्पन्न होती है जब दो विपरीत चुंबकीय क्षेत्रों की धाराएं टूट कर पुन: एक-दूसरे से जुड़ जाती हैं। इस क्रम में प्रचंड ऊर्जा बाहर निकलती है। यह खोज चुंबकत्व और अंतरिक्ष के मौसम को समझने की दिशा में एक बड़ा कदम है। मैरीलैंड यूनिवर्सिटी के भौतिक विज्ञानी जेम्स ड्रेक ने इस प्रकिया को दो ट्रेनों का उदाहरण दे कर समझाने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि ऐसी दो ट्रेनों की कल्पना करो जो दो अलग-अलग पटरियों पर एक-दूसरे की तरफ बढ़ रही हैं, लेकिन अंतिम क्षणों पर उनका ट्रैक बदल जाता है और वे एक ही ट्रैक पर दौड़ने लगती हैं। प्रत्येक ट्रैक दो चुंबकीय क्षेत्रों की धारा का प्रतिनिधित्व करता है। ट्रैकों की अदला-बदली पुनर्मिलन प्रक्रिया को दर्शाती है। अदला-बदली से होने वाली दुर्घटना पुनर्मिलन बिंदु से ठीक उसी तरह ऊर्जा बाहर फेंकती है जैसे किसी ने गुलेल से किसी पर पत्थर फेंका हो। नए प्रमाणों से पता चलता है कि सौर लपटों, चुंबकीय तूफानों और पृथ्वी के दोनों ध्रुवों पर देखे जाने वाले रंगीन प्रकाश के पीछे चुंबकीय क्षेत्रों की पुनर्मिलन प्रक्रिया का ही प्रमुख हाथ है।
हालांकि रिसर्चर पिछले पचास वर्षो से प्रयोगशाला और अंतरिक्ष में चुंबकीय पुनर्मिलन को समझने का प्रयास कर रहे हैं, एमएमएस मिशन को पहली बार प्रत्यक्ष रूप से यह देखने को मिला है कि आखिर यह प्रक्रिया होती कैसे है। एमएमएस मिशन से हमें पहले की अपेक्षा ज्यादा सटीक जानकारियां मिल रही हैं। इस मिशन के चार एक जैसे उपग्रह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के छोर पर पिरामिड के आकार में उड़ान भरते हुए हर 30 मिली सेकेंड बाद इलेक्ट्रॉन कणों की तस्वीर खींचते हैं। इस मिशन की तुलना में पहले भेजा गया यूरोपीय स्पेस एजेंसी और नासा का कलस्टर-2 मिशन हर तीन सेकेंड बाद ही आंकड़े ग्रहण करता है। एमएमएस मिशन इतने समय में 100 बार आंकड़े एकत्र कर लेता है। एमएमएस मिशन का मुख्य लक्ष्य यह पता लगाना है कि चुंबकीय क्षेत्र की धाराएं थोड़ी देर के लिए कैसे टूटती हैं? और ऊर्जा कैसे बाहर निकलती है? पुनर्मिलन प्रक्रिया में इलेक्ट्रॉन कणों के बर्ताव के बारे में आंकड़े जुटा कर यह समझने में मदद मिलेगी कि क्या यह प्रक्रिया साफ सुथरी और व्यवस्थित है या इसका स्वरूप तूफान जैसा है। इस प्रक्रिया की भौतिकी को भलीभांति समझकर हम अंतरिक्ष के मौसम, खास कर सौर लपटों और चुंबकीय तूफान जैसी घटनाओं का ज्यादा गहराई से अध्ययन कर सकते हैं। 
(लेखक विज्ञान विषय के जानकार हैं)दैनिक जागरण

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