Wednesday 25 May 2016

पृथ्वी के बाहर जीवन (मुकुल व्यास )

नए ग्रहों की बढ़ती हुई संख्या पारलौकिक जीवन के बारे में हमारी जिज्ञासा को बार-बार बढ़ा रही है। अभी हाल में नासा ने केप्लर अंतरिक्ष दूरबीन से प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण के बाद 1284 नए ग्रहों की उपस्थिति की पुष्टि की है। यह पहला अवसर है जब ग्रहों की इतनी बड़ी खोज हुई है। इन नए ग्रहों की खोज के बाद हमारे सौरमंडल से बाहर खोजे ग्रहों की कुल संख्या 3264 तक पहुंच गई है। नए ग्रहों में कम से कम नौ ग्रह ऐसे हैं जहां जीवन संभव है। पृथ्वी जैसे ग्रहों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। शोधार्थियों के एक दल ने एक बौने तारे के इर्दगिर्द तीन पृथ्वी जैसे ग्रहों का पता लगाया है जहां की परिस्थितियां जीवन के अनुकूल हो सकती हैं। नेचर में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट के मुताबिक ट्रेपिस्ट-1 नामक तारा पृथ्वी से 40 प्रकाश वर्ष दूर है। इसका तापमान सूरज के तापमान से आधा है। यह इतना धुंधला है कि पृथ्वी से इसका पर्यवेक्षण मुश्किल है। बेल्जियम के खगोल वैज्ञानिक माइकल गिलों के नेतृत्व में रिसर्चरों ने एक विशेष दूरबीन की मदद से पिछले साल सितंबर से दिसंबर तक इस तारे की चमक में उतार-चढ़ाव का अध्ययन किया था। 2018 में जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के उपलब्ध होने के बाद ही इन ग्रहों की सही तस्वीर मिल पाएगी। 1नासा के खगोल भौतिकविद् पॉल हर्ट्ज ने कहा कि आज हम यह जान पाए हैं कि ग्रहों की संख्या तारों की संख्या से अधिक हो सकती है। केप्लर से मिली नई जानकारियां अंतरिक्ष के भावी मिशनों के लिए महत्वपूर्ण है। ये मिशन हमें यह बताएंगे कि क्या ब्रrांड में हम अकेले हैं या हमारे जैसा कोई और भी है। बाहरी ग्रहों की चमक में गिरावट से खगोल वैज्ञानिक उनकी उपस्थिति का अंदाजा लगाते हैं। जिस तरह गत नौ मई को बुध सूरज के सामने से गुजरा था, उसी तरह बाहरी ग्रह अपने तारे के सम्मुख से गुजरते हैं। इस प्रक्रिया में उनकी चमक कुछ कम हो जाती है। केप्लर दूरबीन चमक में होने वाली गिरावट को नोट करती है। नए ग्रहों के बारे में नई जानकारियां मिलने के बाद एलियंस में दिलचस्पी बढ़ना स्वाभाविक है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि ब्रrांड में पृथ्वी से पहले अन्य स्थानों पर भी बुद्धिमान प्रजातियां विकसित हुई होंगी। हाल ही में 1961 की बहुचर्चित ड्रेक इक्वेशन में किए गए संशोधन के बाद वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि पहली उन्नत और बुद्धिमान सभ्यता शायद पृथ्वी पर विकसित नहीं हुई है। इस इक्वेशन में ब्रह्माण्ड में विद्यमान बुद्धिमान सभ्यताओं की संख्या का अनुमान लगाया गया है। इस इक्वेशन में तारों के निर्माण की गति के अलावा ऐसे तारों की सख्या पर गौर किया गया है जहां ग्रह प्रणालियों का निर्माण हुआ है तथा अनुमान लगाया गया है कि ऐसे ग्रहों में जीवन-अनुकूल गृह कितने हैं, लेकिन यह इक्वेशन 55 वर्ष पुरानी है। इसमें नए खोजे गए ग्रहों पर जीवन होने की संभावनाओं के बारे में नवीनतम सूचनाएं नहीं हैं। नई संशोधित इक्वेशन में जीवन-संभावित ग्रहों के बारे में नासा के केप्लर उपग्रह द्वारा एकत्र डाटा को शामिल किया गया है।
पिछले साल अमेरिका की पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने 50 आकाशगंगाओं का पता लगाया था जहां बुद्धिमान सभ्यताओं का वास हो सकता है। इन आकाशगंगाओं से निकलने वाले रेडिएशन का उच्च स्तर अत्यधिक उन्नत सभ्यताओं की मौजूदगी का सूचक हो सकता है। रिसर्चरों का अनुमान है कि इन आकाशगंगाओं में वास करने वाली पारलौकिक प्रजातियां तारों की ऊर्जा का उपयोग करती होंगी और इस प्रक्रिया में बड़ी मात्र में ऊष्मा का उत्सर्जन कर रहीं होंगी। अब सवाल यह है कि क्या हम कभी इन सभ्यताओं से संपर्क कर पाएंगे?
(लेखक विज्ञान मामलों के जानकार हैं)
(दैनिक जागरण )

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