Thursday 7 July 2016

बृहस्पति का महत्व (मुकुल व्यास )

नासा के जूनो अंतरिक्ष यान ने बृहस्पति की कक्षा में प्रवेश करके वैज्ञानिकों को हमारे सौरमंडल के इस प्राचीनतम ग्रह को गहराई से समझने का बेहतरीन अवसर प्रदान किया है। इस ग्रह का अध्ययन करते हुए वैज्ञानिकों को न सिर्फ पृथ्वी की उत्पत्ति के बारे मे उपयोगी जानकारी मिलेगी, बल्कि उन्हें पारलौकिक जीवन के लिए चल रही खोज मे भी मदद मिल सकती है। बृहस्पति मिशन से बृहस्पति के उन अज्ञात चंद्रमाओं का भी पता चल सकता है जहां पारलौकिक जीवन का वास हो सकता है। बृहस्पति एक अनोखा ग्रह है। यह सौरमंडल के दूसरे ग्रहों से एकदम भिन्न है। यदि सौरमंडल के बाकी सभी ग्रहों को मिलाकर एक बड़े ग्रह में बदल दिया जाए तो भी बृहस्पति का भार ढाई गुणा अधिक रहेगा। बृहस्पति का इतना द्रव्यमान अविश्वसनीय लगता है, क्योंकि यह एक गैस प्रधान ग्रह है। यह मुख्य रूप से गैसीय और तरल तत्वों से बना हुआ है। 1हालांकि इसके गर्भ मे चट्टान की उपस्थिति हो भी सकती है या नहीं भी। जब किसी ग्रह का एक चौथाई द्रव्यमान हीलियम गैस से बना हुआ हो तो वास्तविक वजन उठाने के लिए काफी जगह चाहिए। इसमें 1300 से अधिक पृथ्वियां समा सकती हैं। आकार को देखें तो बृहस्पति किसी ग्रह के बजाय किसी तारे से ज्यादा मेल खाएगा। वैज्ञानिकों ने अनेक ऐसे पारलौकिक तारों का पता लगाया है जो बृहस्पति के साथ गजब की समानता रखते हैं। बहुत से तारों में तो बृहस्पति जैसे तूफान उठ रहे हैं। बृहस्पति हमारे सौरमंडल मे गठित होने वाला पहला ग्रह था। इसने अपने प्रबल गुरुत्वाकर्षण से कई खगोलीय पिंडों को अंतरिक्ष मे खदेड़ दिया था जो शुरू-शुरू में प्रकट हुए थे। इस प्रकार उसने सौरमंडल के दूसरे ग्रहों के गठन का मार्ग प्रशस्त किया।1जूनो अंतरिक्ष यान ने 2011 में बृहस्पति के लिए प्रस्थान किया था। इस ग्रह की यात्र करने वाला यह आठवां यान है, लेकिन यह पहला ऐसा यान है जो इस विशाल गैसीय ग्रह पर घने बादलों के नीचे छिपी दुनिया को देखेगा। यह यान ग्रह के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के ऊपर से भी गुजरेगा। बृहस्पति के उच्च रेडिएशन और चुंबकीय क्षेत्र को ङोलने वाला यह पहला यान होगा। गौरतलब है कि हमारे सौरमंडल में सूरज के बाद बृहस्पति पर रेडिएशन का स्तर सबसे ज्यादा तीव्र है। 1बृहस्पति चारों तरफ से इलेक्ट्रॉन और प्रोटोन कणों से घिरा हुआ है जो प्रकाश की गति से चक्कर काटते रहते हैं। वैज्ञानिकों का खयाल है कि यह कठोर वातावरण बृहस्पति के बादलों के आवरण के नीचे मौजूद तरल मैटलिक हाइड्रोजन की परत की वजह से है। तरल मैटलिक हाइड्रोजन अनोखा तत्व है जो पारे की तरह धातु जैसा व्यवहार भी करता है। यह तत्व बृहस्पति और शनि ग्रहों की विशेषता है। बृहस्पति की तरल मैटलिक हाइड्रोजन परत पर इतना ज्यादा दबाव है कि यह विद्युत का सुचालन करती है और बृहस्पति के अत्यंत तीव्र रोटेशन के साथ मिल कर एक विराट चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण करती है। यह चुंबकीय क्षेत्र बृहस्पति के एक चंद्रमा की च्वालामुखीय गतिविधि के प्रभाव से अद्भुत रंगीन रोशनियां उत्पन्न करता है। यह रंगीन नजारा पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों में देखी जाने वाली रंगीन रोशनी अथवा अरौरा की तरह ही होता है। जूनो अंतरिक्ष यान बृहस्पति के निराले चुंबकीय क्षेत्र के साथ-साथ इन रंगीन रोशनियों का भी पर्यवेक्षण करेगा जो पृथ्वी के रंगीन प्रकाश की तुलना में ज्यादा चमकीली है। जूनो 32 बार बृहस्पति के चक्कर लगाएगा और इस क्रम में वह बृहस्पति के बादलों के आवरण के करीब 4345 किलोमीटर पास आ सकता है। 1(लेखक विज्ञान विषय के जानकार हैं)नासा के जूनो अंतरिक्ष यान ने बृहस्पति की कक्षा में प्रवेश करके वैज्ञानिकों को हमारे सौरमंडल के इस प्राचीनतम ग्रह को गहराई से समझने का बेहतरीन अवसर प्रदान किया है। इस ग्रह का अध्ययन करते हुए वैज्ञानिकों को न सिर्फ पृथ्वी की उत्पत्ति के बारे मे उपयोगी जानकारी मिलेगी, बल्कि उन्हें पारलौकिक जीवन के लिए चल रही खोज मे भी मदद मिल सकती है। बृहस्पति मिशन से बृहस्पति के उन अज्ञात चंद्रमाओं का भी पता चल सकता है जहां पारलौकिक जीवन का वास हो सकता है। बृहस्पति एक अनोखा ग्रह है। यह सौरमंडल के दूसरे ग्रहों से एकदम भिन्न है। यदि सौरमंडल के बाकी सभी ग्रहों को मिलाकर एक बड़े ग्रह में बदल दिया जाए तो भी बृहस्पति का भार ढाई गुणा अधिक रहेगा। बृहस्पति का इतना द्रव्यमान अविश्वसनीय लगता है, क्योंकि यह एक गैस प्रधान ग्रह है। यह मुख्य रूप से गैसीय और तरल तत्वों से बना हुआ है। 1हालांकि इसके गर्भ मे चट्टान की उपस्थिति हो भी सकती है या नहीं भी। जब किसी ग्रह का एक चौथाई द्रव्यमान हीलियम गैस से बना हुआ हो तो वास्तविक वजन उठाने के लिए काफी जगह चाहिए। इसमें 1300 से अधिक पृथ्वियां समा सकती हैं। आकार को देखें तो बृहस्पति किसी ग्रह के बजाय किसी तारे से ज्यादा मेल खाएगा। वैज्ञानिकों ने अनेक ऐसे पारलौकिक तारों का पता लगाया है जो बृहस्पति के साथ गजब की समानता रखते हैं। बहुत से तारों में तो बृहस्पति जैसे तूफान उठ रहे हैं। बृहस्पति हमारे सौरमंडल मे गठित होने वाला पहला ग्रह था। इसने अपने प्रबल गुरुत्वाकर्षण से कई खगोलीय पिंडों को अंतरिक्ष मे खदेड़ दिया था जो शुरू-शुरू में प्रकट हुए थे। इस प्रकार उसने सौरमंडल के दूसरे ग्रहों के गठन का मार्ग प्रशस्त किया।1जूनो अंतरिक्ष यान ने 2011 में बृहस्पति के लिए प्रस्थान किया था। इस ग्रह की यात्र करने वाला यह आठवां यान है, लेकिन यह पहला ऐसा यान है जो इस विशाल गैसीय ग्रह पर घने बादलों के नीचे छिपी दुनिया को देखेगा। यह यान ग्रह के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के ऊपर से भी गुजरेगा। बृहस्पति के उच्च रेडिएशन और चुंबकीय क्षेत्र को ङोलने वाला यह पहला यान होगा। गौरतलब है कि हमारे सौरमंडल में सूरज के बाद बृहस्पति पर रेडिएशन का स्तर सबसे ज्यादा तीव्र है। 1बृहस्पति चारों तरफ से इलेक्ट्रॉन और प्रोटोन कणों से घिरा हुआ है जो प्रकाश की गति से चक्कर काटते रहते हैं। वैज्ञानिकों का खयाल है कि यह कठोर वातावरण बृहस्पति के बादलों के आवरण के नीचे मौजूद तरल मैटलिक हाइड्रोजन की परत की वजह से है। तरल मैटलिक हाइड्रोजन अनोखा तत्व है जो पारे की तरह धातु जैसा व्यवहार भी करता है। यह तत्व बृहस्पति और शनि ग्रहों की विशेषता है। बृहस्पति की तरल मैटलिक हाइड्रोजन परत पर इतना ज्यादा दबाव है कि यह विद्युत का सुचालन करती है और बृहस्पति के अत्यंत तीव्र रोटेशन के साथ मिल कर एक विराट चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण करती है। यह चुंबकीय क्षेत्र बृहस्पति के एक चंद्रमा की च्वालामुखीय गतिविधि के प्रभाव से अद्भुत रंगीन रोशनियां उत्पन्न करता है। यह रंगीन नजारा पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों में देखी जाने वाली रंगीन रोशनी अथवा अरौरा की तरह ही होता है। जूनो अंतरिक्ष यान बृहस्पति के निराले चुंबकीय क्षेत्र के साथ-साथ इन रंगीन रोशनियों का भी पर्यवेक्षण करेगा जो पृथ्वी के रंगीन प्रकाश की तुलना में ज्यादा चमकीली है। जूनो 32 बार बृहस्पति के चक्कर लगाएगा और इस क्रम में वह बृहस्पति के बादलों के आवरण के करीब 4345 किलोमीटर पास आ सकता है। 1(लेखक विज्ञान विषय के जानकार हैं)(DJ)

No comments:

Post a Comment