Friday 29 July 2016

शरीर जैसा सिस्टम (मुकुल व्यास)

अंगों को मिलाकर एक ऐसा सूक्ष्म सिस्टम तैयार किया गया है जो मनुष्य की फिजियोलॉजी से मेल खाता है। इस चिप में एक सर्किट की भांति कई तरह की पतली नलियां हैं जिनमें रक्त जैसा तरल पदार्थ प्रवाहित होकर अंगों तक पहुंचता है जिनका निर्माण वास्तविक मानव ऊतकों से किया गया है। यह एक तरह से सूक्ष्म मानव है जिसके पास मस्तिष्क और पैर नहीं है। लेकिन इससे भयभीत होने की जरूरत नहीं है। चिप बनाने वाली ब्रिटिश कंपनी सीएन बायो इनोवेशंस के वैज्ञानिकों का दावा है कि इस चिप से ऐसी दवाएं बनाई जा सकेंगी जो ज्यादा सुरक्षित और असरदार होंगी। उनका यह भी दावा है कि इस टेक्नोलॉजी से नई दवाओं का भी परीक्षण किया जा सकता है जिन्हें अभी मनुष्यों पर ही आजमाना पड़ता है। नई दवाओं में हमेशा एक जोखिम रहता है। इसीलिए दवा परीक्षण के लिए मनुष्य वालंटियरों के स्थान पर चिप का प्रयोग ज्यादा उपयुक्त होगा। वैसे बहुत सी कंपनियों ने जानवरों पर नई दवाओं के परीक्षण पर लगी रोक के कारण चिप पर उगे अंगों का प्रयोग शुरू भी कर दिया है।1अमेरिका के रक्षा विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के वैज्ञानिक रासायनिक हथियारों की काट ढूंढ़ने के लिए इस टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर रहे हैं। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वीस इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक मानव शरीर पर रेडिएशन के प्रभाव जानने के लिए चिप पर बोन मैरो का उपयोग कर रहे हैं। अमेरिका की रक्षा अनुसंधान एजेंसी डरपा द्वारा समर्थित एक अन्य प्रोजेक्ट में दस या उससे अधिक अंगों को आपस में जोड़कर यह पता लगाया जा रहा है कि हम रासायनिक हमलों से खुद को कैसे बचा सकते हैं। अमेरिका में चल रहे एक अन्य प्रोजेक्ट के तहत अंगों की चिपों को एक साथ जोड़ने की कोशिश चल रही है। प्रत्येक चिप की सूक्ष्म नलियों में मानव कोशिकाएं हैं। नलियों में बहने वाले रक्त से इन कोशिकाओं को पोषक तत्व मिलते हैं। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने इस टेक्नोलॉजी के जरिए एक चिप के ऊपर गुर्दे, फेफड़े, आंतें और बोन मेरो उगाने में सफलता प्राप्त की है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वीस इंस्टीट्यूट के बायोइंजीनियर डॉ. डोनाल्ड इंगबर इस रिसर्च का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न अंगों को एक साथ रख कर हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि एक अंग विशेष के लिए बनी दवा दूसरे अंग को नुकसान नहीं पहुंचाए।1इस बीच, कुछ वैज्ञानिक यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि दवाओं को शरीर में पहुंचाने का सवरेत्तम तरीका क्या हो सकता है। ज्यादातर लोग ई.कोलाई बैक्टीरिया का नाम सुनकर घबराते हैं लेकिन यकीन मानिए कई तरह के रोग फैलाने वाले इस बैक्टीरिया का उपयोग भविष्य में बीमारियों से लड़ने के लिए भी किया जा सकता है। अमेरिका के बफेलो स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड एप्लाइड साइंस के एसोसिएट प्रोफेसर ब्लेन फाइफर का कहना है कि ई.कोलाई बैक्टीरिया में रोग से लड़ने की अद्भुत क्षमता है।
(लेखक विज्ञान मामलों के विशेषज्ञ हैं)

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