Friday 29 July 2016

जीएसटी : लाभ में रहेगी इकोनोमी (जयंतीलाल भंडारी)

यक़ीनन संसद के चालू मॉनसून सत्र में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक के राज्य सभा में पारित होने की संभावनाएं आकार ग्रहण कर रही हैं। राज्य सभा में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की शक्ति बढ़ी है और राजग के पास 81 सदस्य हैं। जीएसटी बिल राज्य सभा में पास कराने के लिए 164 सदस्यों का समर्थन चाहिए। ऐसे में इस बिल के लिए समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, जनता दल यूनाइटेड, बीजू जनता दल, बहुजन समाज पार्टी तथा कुछ अन्य छोटे दलों का समर्थन मोदी सरकार को प्राप्त है। पिछले कुछ दिनों में जीएसटी को लेकर सरकार और कांग्रेस के बीच मतभेद कम हुए हैं। मॉनसून सत्र की शुरुआत में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि कांग्रेस उस किसी भी विधेयक का समर्थन करेगी, जो देश, जनता और विकास के हित में हो। कांग्रेस जीएसटी पर नरम रुख दिखा रही है। कांग्रेस ने भी जीएसटी पर सहयोग के संकेत दिए हैं। कांग्रेस ने कहा कि वह जीएसटी के विरोध में नहीं है। लेकिन उसकी कुछ आशंकाओं का समाधान जरूरी है। कांग्रेस पार्टी ने जीएसटी दर 18 प्रतिशत रखने, 1 प्रतिशत अतिरिक्त कर से दूर रहने और विवाद निपटारा प्राधिकरण बनाए जाने की बात कही है। कांग्रेस मांग करती रही है कि जीएसटी दरों को संविधान का हिस्सा बनाया जाए। मगर सरकार का कहना है कि यह व्यावहारिक सुझाव नहीं है। अगर भविष्य में सरकार चाहती है कि दरों में बदलाव की जरूरत है, तो फिर से संविधान में संशोधन करना होगा। ज्यादातर देशों में जीएसटी दरें कानून के रूप में हैं, न कि संवैधानिक स्वरूप में। जीएसटी विधेयक में कर की दर को परिभाषित करने की व्यवस्था दी गई है। इन दरों में सामान्य बहुमत से कभी भी बदलाव किया जा सकता है। आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में बनी समिति ने मानक जीएसटी दर 17 से 18 प्रतिशत के बीच रखने का प्रस्ताव किया है। अभी उपभोक्ता औसतन 22-23 फीसद टैक्स चुकाते हैं। उल्लेखनीय है कि जीएसटी की दर 18 प्रतिशत तय करने के मसले पर सरकार को 19 जुलाई को प्रमुख क्षेत्रीय दलों और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विशेष सहारा मिला है। नीतीश कुमार ने केंद्रीय वित्तमंत्री से कहा कि वह जीएसटी की सीमा तय किए जाने के खिलाफ हैं, चाहे यह 18 प्रतिशत हो या कुछ और। कांग्रेस इस बात पर जोर देती रही है कि जीएसटी पर संविधान संशोधन विधेयक में जीएसटी की दर 18 प्रतिशत रखी जानी चाहिए। ऐसे में अब जीएसटी की दर 18 फीसद तय करने में आम सहमति बनते हुए दिखाई दे रही है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि जीएसटी का जो संशोधित विधेयक तैयार हुआ है, वह जीएसटी के मूल विधेयक से बहुत कुछ अलग है। फिर भी कुछ आधी-अधूरी व्यवस्थाओं के बाद भी जीएसटी बहुत उपयोगी साबित होगा। जीएसटी व्यवस्था से उत्पादक प्रदेश और उपभोक्ता प्रदेश दोनों को ही लाभ होगा। ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित की गई है कि जो राजस्व वसूल होगा, उसका जितना भाग केंद्र को दिया जाना होगा और जितना भाग राज्य को दिया जाना होगा, वह शीघ्रतापूर्वक केंद्र और राज्य को हस्तांतरित हो जाएगा। इससे कर राजस्व वितरण संबंधी विवादों की संभावना कम होगी। राज्यों के वित्तमंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति की जून 2016 में जीएसटी मसौदा कानून पर महत्त्वपूर्ण बैठक हुई। इसमें प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लिए केंद्र सरकार व राज्यों के बीच प्रशासनिक मतभेद को दूर करने के लिए केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने एक समिति का गठन किया है। यह समिति करदाताओं से संबंधित प्रमुख मसलों को चिह्नित करेगी और बातचीत के माध्यम से उनका समाधान करेगी। इन मसलों में प्रशासनिक सीमा और पुनरीक्षण की शक्तियां शमिल हैं। गौरतलब है कि हाल ही में 17 जुलाई को भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल (एसोचैम) ने कहा कि संसद के चालू मॉनसून सत्र में यदि जीएसटी पारित होता है तो यह देश के लिए अधिक लाभप्रद सिद्ध होगा। इस समय जबकि मुद्रास्फीति में तेजी है और औद्योगिक वृद्धि में नरमी है, तब जीएसटी विकास संबंधी नकारात्मक स्थितियों से बचाएगा। यह भी कहा गया है कि जीएसटी लागू होने से देशी-विदेशी निवेश बढ़ेगा, महंगाई कम होगी। नियंतण्र रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने अपनी नई अध्ययन रिपोर्ट में बताया है कि भारत में जीएसटी के शीघ्र लागू होने से निवेश की चमकीली संभावनाएं आकार ग्रहण कर सकती हैं। उल्लेखनीय है कि दुनिया के 150 से अधिक देशों में जीएसटी जैसी कर व्यवस्था लागू है। वस्तुत: लम्बे समय से जीएसटी का लागू होना देश में टैक्स सरलीकरण की दिशा में महत्त्वपूर्ण जरूरत अनुभव की जाती रही है। उल्लेखनीय है कि फिलहाल देश में किसी वस्तु का उत्पादन होता है, तो उस पर राज्य और केंद्र स्तर पर अलग-अलग तरह के टैक्स लगते हैं। केंद्र के टैक्स में सेंट्रल एक्साइज डयूटी, सर्विस टैक्स और अतिरिक्त कस्टम डयूटी शामिल हैं, जबकि राज्यों के कर में वैट, मनोरंजन कर, विलासिता कर, लॉटरी कर, विद्युत शुल्क आदि शामिल हैं। जीएसटी लागू होने पर केंद्रीय बिक्री कर को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा। प्रवेश शुल्क या ऑक्ट्राय को शुरुआत में लिये गए कर में ही शामिल कर लिया जाएगा। जीएसटी की व्यवस्था के तहत आपूत्तर्िकर्ता उत्पादक एवं सेवाप्रदाता द्वारा कर का भुगतान प्रारंभिक बिंदु पर किया जाएगा। संग्रह की लागत भी कम होगी। जीएसटी के लागू होने के बाद जहां उत्पादन की प्रक्रिया से जुड़े उद्यमियों, कर्मचारियों तथा अन्य संबंधित लोगों को लाभ होगा, वहीं कर संग्रह भी बढ़ेगा। जीएसटी से गैर पारदर्शी और भ्रष्ट कर प्रशासन से मुक्ति मिलेगी। (Rs)

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