Monday 4 July 2016

तुर्की ने कई बार गलतियां दोहराईं, अब कार्रवाई क्यों? ( रकमिनि कैलिमाची,न्यूयार्क टाइम्स )

पिछलेकुछदिनों में सीरिया में संघर्ष के दौरान मारे गए आईएस आतंकियों के पास से आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई थी। उनमें कुछ के पास पासपोर्ट भी थे, जिन पर तुर्की की सील थी। मतलब साफ है कि आईएस जैसे आतंकी संगठन में शामिल होने के लिए अलग-अलग देशों के हजारों युवाओं ने तुर्की का रास्ता चुना, क्योंकि वहां से सीरिया पहुंचाने वाला नेटवर्क अलग-अलग शहरों में सक्रिय है। आईएस के नेटवर्क के लिए यह इसलिए आसान है, क्योंकि कई अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की हाल्टिंग या कनेक्टिंग इस्तांबुल के अंतरराष्ट्रीय विमानतल से है।
इस्तांबुल विमानतल पर हमले के बाद तुर्की ने देशभर में आईएस के खिलाफ छापेमारी शुरू की है। पता चला है कि तीनों आत्मघाती हमलावर रूस, उज्बेकिस्तान और किर्गिस्तान मूल के थे। अदालत में पेश एवं खुफिया दस्तावेज बताते हैं कि आईएस के लड़ाके अक्सर जब रिश्तेदारों से फोन पर बात करते हैं, तो उनके पास तुर्की के नंबर वाले फोन होते हैं। अगर उन्हें नगद राशि की जरूरत होती है, तो वे दक्षिण तुर्की स्थित वेस्टर्न यूनियन के दफ्तर पहुंच जाते हैं। सीरिया के गृहयुद्ध में जैसे-जैसे आईएस के आतंकियों की संख्या बढ़ी, तुर्की ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आईएस को भी पता था कि तुर्की कुर्दों को पसंद नहीं करता है। कुर्द लड़ाके सीरिया और इराक में जमे हुए थे। आईएस ने सीरिया में कुर्द लड़ाकों से संघर्ष शुरू किया। पश्चिमी देशों ने तुर्की को इस बारे में सतर्क किया था। फिर पश्चिम के विमानों ने ही आईएस पर हवाई हमले भी किए, इसके बावजूद आईएस ने कुर्दों के खिलाफ संघर्ष तेज कर दिया था। इस कारण पिछले कुछ सालों से यह देश आईएस आतंकियों के लिए बेस, ट्रांजिट हब और शॉपिंग बाजार रहा है। अब तुर्की सरकार के अधिकारी कह रहे हैं कि इस्तांबुल के आत्मघाती हमले आईएस की नई पहचान हो सकते हैं। पिछले कुछ महीनों में तुर्की में जो छोटे-मोटे हमले हुए, उनका संबंध इसी आतंकी संगठन से हो सकता है।
विश्लेषक बताते हैं कि तुर्की ने पिछले कुछ महीनों से आईएस के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी थी, उसी की कीमत उसे चुकानी पड़ी। वहां आईएस आतंकियों की आवाजाही तब बढ़ी, जब अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते तुर्की ने अपनी सीमाएं सील करनी शुरू कीं। इसमें आतंकियों की गिरफ्तारी और उनका देश से निर्गमन भी शामिल था। कुछ महीने पहले ही तुर्की ने अमेरिका से कहा कि वह उसके इंजिलिक एयर बेस का इस्तेमाल अपनी सैन्य उड़ानों के लिए कर सकता है। ये उड़ानें सीरिया और इराक में आईएस के ठिकानों एवं उसकी गतिविधियां देखने के लिए थीं।
अमेरिका की सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी के डाइरेक्टर जॉन ब्रेनन ने पिछले सप्ताह ही इंटरव्यू में कहा कि तुर्की ने विदेशी संदिग्धों के लिए अपने ट्रांजिट के रास्ते बंद कर दिए थे। ये वे लड़ाके थे, जो कभी भी तुर्की में आना-जाना कर सकते थे। इनमें ऐसा गुट भी था, जो नए लड़ाकों की मदद करता था। वे तुर्की की सीमा का इस्तेमाल अपने गुट के विमान उड़ाने के लिए भी करते थे। इसलिए कहा जा सकता है कि ऐसे कई कारण थे, जिनके चलते आईएस नेतुर्की पर पलटवार करके आत्मघाती हमलों को अंजाम दिया। आईएस की गतिविधियों पर करीबी नजर रखने वाले विश्लेषक माइकल एस स्मिथ कहते हैं- तुर्की सरकार ने जब अमेरिका को दक्षिणी बेस का इस्तेमाल आईएस के खिलाफ करने की इजाजत दी। उसके बाद ही आईएस ने टारगेट के लिए तुर्की का नाम लेना शुरू कर दिया था। पिछले दिनों आईएस की दाबिक मैग्ज़ीन के कवर पेज पर तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तय्यप एर्दोआन और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को बुरी तरह चित्रित किया गया था। तुर्की के खिलाफ आईएस के हमले की यह शुरुआत अभी नहीं हुई है। जुलाई 2015 में वह सुरुच शहर और अक्टूबर में अंकारा में हमलों को अंजाम दे चुका है। इस बार आत्मघाती हमलों के जरिये उसने इस्तांबुल में विदेशी पर्यटकों को निशाना बनाया है। पूरी दुनिया उसकी हिंसक गतिविधियों से परिचित है। इस्तांबुल विमातनल पर हमले के लिए भी तुर्की के अधिकारियों ने आईएस को जिम्मेदार ठहराया, लेकिन आईएस की बुलेटिन में इन हमलों का ज़िक्र तक नहीं किया गया।
इस्तांबुल विमानतल पर आत्मघाती हमले तुर्की के खिलाफ आईएस का बदला है, क्योंकि यही वह देश है, जहां से आईएस के लड़ाके आना-जाना करते थे। तुर्की ने कई बार ऐसी गलतियां कीं, जिनके चलते आईएस के लिए वहां ठिकाना बनाना आसान हो गया था। अब देशभर में छापे डाले जा रहे हैं। पश्चिमी देशों के दबाव में ही तुर्की ने अपनी सीमाएं सील करके आईएस के खिलाफ अमेरिका को अपने एयरबेस के इस्तेमाल की इजाजत दी। इससे आईएस बौखला गया और उसने इस्तांबुल हमले को अंजाम दिया।(DJ)

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