Friday 29 July 2016

भारत-अफ्रीका संबंधों की नई उड़ान (अरविंद जयतिलक)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चार अफ्रीकी देशों-मोजाम्बिक, दक्षिण अफ्रीका, तंजानिया और केन्या की यात्र आर्थिक व तकनीकी सहयोग क्षेत्र में नई इबारत गढ़ने के साथ ही सभ्यतागत संबंधों को ऊर्जा से भर दिया है। उन्होंने यात्र की शुरुआत मोजाम्बिक से की और मोजाम्बिक के विकास में भारतीय सहयोग के वादा के साथ भरोसा जताया कि दोनों देश मिलकर आतंकवाद का खात्मा करेंगे। इस दौरान दोनों देशों के बीच तीन समझौते हुए हैं। उनमें से एक दाल खरीदने का एग्रीमेंट भी है। गौरतलब है कि सरकार ने अगले पांच सालों में मोजाम्बिक से अरहर एवं अन्य दालों का आयात दोगुना कर दो लाख टन प्रतिवर्ष करने की मंजूरी दी है।
भारत को हर वर्ष तकरीबन 60 से 70 लाख टन दाल की कमी से जुझना पड़ता है किंतु इस समझौते से दाल की कमी पूरी होगी। इसके अलावा दोनों देशों के बीच यूथ एंड स्पोर्ट्स तथा ड्रग तस्करी रोकने को लेकर भी समझौते हुए हैं। मोजांबिक के उपरांत प्रधानमंत्री ने दक्षिण अफ्रीका पहुंचकर इतिहास को जिंदा करते हुए उस पीटरमार्टिजबर्ग रेलवे स्टेशन गए जहां अंग्रेजों ने बापू को सामान सहित फेंक दिया था। प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी को भावभीनी श्रद्धांजलि दी और कहा कि उनके लिए यह यात्र तीर्थयात्र जैसी है। दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ने की प्रतिबद्धता के साथ आर्थिक व व्यापारिक संबंधों को मजबूती देने के लिए आठ समझौते किए। इन समझौतों में ड्यूब ट्रेड पोर्ट और सिपला इंडिया के बीच सस्ती दवाओं के उत्पादन का करार, हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड और मिनोवा अफ्रीका में करार, आयन एक्सचेंज सैफिक और स्टीफेनुट्टी स्टॉक्स में करार तथा पायनियर ग्लोबल इंटरप्राइजेज ऑफ इंडिया और आर्म्सकॉर में समझौता विशेष रूप से उल्लेखनीय है। प्रधानमंत्री का अगला पड़ाव तंजानिया बना जहां उनकी उपस्थिति में दोनों देशों के बीच पांच अहम समझौते हुए। इनमें से एक तंजानिया के जांजीबार में जलापूर्ति के लिए 9.2 करोड़ डॉलर की ऋ ण सुविधा देने से संबंधित है। दोनों देश जल परियोजनाओं के अलावा कृषि एवं खाद्य सुरक्षा में संबंधों को मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता के साथ प्राकृतिक गैस के विकास और इस्तेमाल पर भी सहमत हुए हैं।
प्रधानमंत्री की यात्र का अंतिम चरण केन्या रहा जहां उन्होंने विकास के पथ पर आगे बढ़ते भारत की तस्वीर पेश की और आतंकवाद एवं वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी को चुनौतियों के तौर पर स्वीकारते हुए इससे निपटने की प्रतिबद्धता जतायी। दोनों देशों ने कई अहम समझौते पर हस्ताक्षर भी किए। इतिहास के गर्भ में जाएं तो भारत और अफ्रीका के रिश्ते सदियों पुराने हैं। भारत और अफ्रीका दुनिया की आबादी के तकरीबन छठें हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं। आज की तारीख में भारतीय मूल के तकरीबन 2.7 मिलीयन लोग अफ्रीका में रह रहे हैं।
भारत ने अफ्रीका के कई देशों के लोकतंत्र की बहाली में भी अपनी सारगर्भित भूमिका निभायी है। आज अफ्रीका के साथ भारत की रणनीतिक साङोदारी नए आयाम गढ़ रही है। गौर करें तो पिछले डेढ़ दशकों में भारत-अफ्रीका द्विपक्षीय व्यापार में तकरीबन 20 गुना बढ़ोतरी हुई है। 2009-10 में यह 39 अरब डॉलर था जो कि 2014-15 में बढ़कर 72 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। आयात की तुलना में भारत से निर्यात में तेजी दर्ज की गयी है। भारत के कुल निर्यात में अफ्रीका की हिस्सेदारी 10.6 फीसद है। व्यापार के लिहाज से भारत दुनिया का पहला विकासशील देश है जिसने अफ्रीका स्थित दुनिया के सबसे कम विकसित देशों को ड्यूटी-फ्री और कोटा-फ्री सुविधा मुहैया करायी है। नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका, मिस्न, केन्या और अंगोला अफ्रीका में भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साङोदार हैं। गौर करें तो भारत व अफ्रीका आर्थिक और तकनीकी सहयोग की दृष्टि से एकदूसरे के निकट और बेहद उपयोगी ही नहीं बल्कि पूरक भी हैं। दोनों में उभरता हुआ मध्यम वर्ग है और दोनों नए उत्पादों के साझा उपभोक्ता व प्रचारक भी हैं। गौर करें तो अफ्रीका प्राकृतिक संसाधनों की दृष्टि से बेहद समृद्ध है। वह भारत की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं संबंधी समस्याओं के निदान में फलदायी साबित हो रहा है और साथ ही भारत को बड़ी मात्र में तेल व गैस उपलब्ध करा रहा है। भारत विश्व में ऊर्जा का पांचवा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। तकरीबन 70 फीसद तेल आयात करता है। अफ्रीका भारत को तेल निर्यात कर अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूती दे सकता है। भारत फरवरी 2010 में 14 लाख टन अफ्रीकी कोयले का आयात कर अफ्रीकी देशों में कोयले का सबसे बड़ा खरीददार देश बन चुका है। चूंकि भारत पर्चेजिंग पॉवर पार्टी के संदर्भ में विश्व की सर्वाधिक उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और इस शताब्दी के मध्य तक विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने को तैयार है, ऐसे में भारत और अफ्रीका का निकट आना दोनों के लिए फायदेमंद है। दो राय नहीं कि वृहत संरक्षित संसाधनों वाला अफ्रीका महाद्वीप आने वाले वर्षो में विश्व की अगली कतार में होगा। कृषि प्रधान देश भारत के लिए यहां कृषि के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं। हरित क्रांति के माध्यम से सफलतापूर्वक कृषि क्षेत्र के विकास का अनुभव रखने वाला भारत अफ्रीका के लिए आदर्श भागीदार साबित हो सकता है। अफ्रीका में अपार प्राकृतिक संसाधन, तीव्र नगरीकरण से बढ़ता घरेलू बाजार एवं नए निर्यात अवसर विद्यमान है। महत्वपूर्ण बात यह कि भारत की प्रौद्योगिकी अफ्रीका की दशाओं के साथ बेहतर तालमेल खाती है। अफ्रीकी देश भारतीय आइटी ज्ञान का लाभ लेना चाहते हैं और भारत को चाहिए कि आगे बढ़कर इस अवसर का लाभ उठाए। अफ्रीका भारत के वस्तुओं और सेवाओं के लिए भी एक बड़ा गतिशील तथा निर्बाध बाजार है। लेकिन चीन के मुकाबले काफी कम है। व्यापार के मामले में चीन की नीति आक्रामक है। मौजूदा समय में चीन का अफ्रीका से द्विपक्षीय व्यापार तकरीबन 200 अरब डॉलर का है। दरअसल चीनी सरकार एवं राय स्वामित्व वाली कंपनियां अधिक ऊंचे मूल्य देकर विभिन्न अफ्रीकी देशों में संसाधनों के अधिग्रहण का कार्य कर रही हैं। इसके विपरित भारत की नीति लघु लाभों के जरिए धीमी प्रगति की है। उचित होगा कि भारत अफ्रीका में सिर्फ संरचना का ही निर्माण न करे बल्कि उनके संसाधनों के दोहन में भी रुचि ले। अछी बात है कि बीते एक दशक में अफ्रीका से व्यापार में वृद्धि हुई है।
मौजूदा समय में भारत वर्तमान में वैश्विक स्तर पर दक्षिण अफ्रीका का 10 वां सबसे बड़ा और पूर्वी एवं दक्षिण एशिया में सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार देश है। भारत बिना तराशे हीरे का विश्व का सबसे बड़ा आयातक देश है जिसमें से अधिकांश अफ्रीका से ही आयात किया जाता है। दूसरी ओर भारत कटे हुए एवं तैयार हीरे का निर्यातक है। भारत अपने भेषजों, प्रौद्यगिकी एवं औद्योगिक हार्डवेयर का निर्यात करना चाहता है और अफ्रीकी तांबा, कोबाल्ट, सोना, हीरा एव तेल आयात करने में रुचि दिखाता है। अछी बात है कि भारत अफ्रीका में व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की पहल तेज हुई है। भारत अफ्रीकी देशों से फुटवियर, बैटिज एवं संचयक, रेडियो टेलिग्राफिक, लौह एवं इस्पात, सूती कपड़ा, फीता, बेलबूटे, ट्रांसमीटर, टीवी रिसीवर, कलपुर्जे, प्लास्टिक के सामान संबंधी व्यापार करता है। दूसरी ओर भारत अवसंरचना विकास, खनिज अन्वेषण, आइटी शिक्षा एवं अन्य क्षेत्रों में अफ्रीकी देशों में उपलब्ध निवेश के अवसरों को लाभ उठाने के लिए व्यापार एवं उद्योग जगत का उत्साहवर्धन कर रही है। फार्मा, लौह एवं इस्पात, एवं कपड़ा क्षेत्र में संयुक्त उद्यम स्थापित किए गए हैं। रुचि दिखाने वाले भारतीय समूह कृषि के क्षेत्र में उद्यम स्थापित करने के अवसरों की भी तलाश कर रहे हैं। मौजूदा समय में उभरते बाजारों से बड़ी कंपनियों का अंतरराष्ट्रीय विस्तार विज्ञान एवं टेक्नॉलाजी में सहायक साबित हो रहा है। इसी के दृष्टिगत भारत ने 8 पूर्वी अफ्रीकी देशों के साथ टीम-9 यानी टेक्नो-इकॉनामिक एप्रोच फॅार अफ्रीका-इंडिया मूवमेंट कार्यक्रम की शुरुआत की, जिसके अंतर्गत योजनाओं, बाजार एवं प्रभाव के क्षेत्र में सूचनाओं का आदान प्रदान संभव हुआ है। प्रधानमंत्री ने चार अफ्रीकी देशों की यात्र के जरिए संबंधों को मिठास से भर दिया है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)(DJ)

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