Friday 29 July 2016

निर्माता से विक्रेता बना भारत (डॉ. लक्ष्मी शंकर यादव)

भारत में निर्मित सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस को पहली बार भारतीय वायु सेना के प्रमुख लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमकेआई के साथ जोड़कर 25 जून को उड़ाकर परीक्षण किया गया। यह परीक्षण एचएएल के हवाई अड्डे पर किया गया और 2500 किलोग्राम वजन के प्रक्षेपास्त्र के साथ उड़ान भरने वाला भारत पहला देश बन गया। इसे विमानन इतिहास में यादगार दिन के रूप में याद किया जाएगा। इस सफलता के बाद सुखोई विमानों में ब्रह्मोस मिसाइलों को लगा दिया जाएगा जिससे वायु सेना की मारक क्षमता काफी बढ़ जाएगी। इस परीक्षण का उद्देश्य सुखोई के जरिये हवा से जमीन पर मार करने में सक्षम बनना है। अब भारतीय वायु सेना पूरी दुनिया की अकेली ऐसी वायु सेना होगी, जिसके पास सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली होगी। अब वायु सेना दृश्यता सीमा से बाहर के लक्ष्यों पर भी हमला कर सकेगी। लगभग 40 विमानों में यह प्रणाली लगाए जाने की योजना है।
इस कामयाबी के बाद भारत दुनिया में स्वयं को एक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने के लिए हथियारों के निर्यात की दिशा में आगे बढ़ने की तैयारी में लग गया है। इसके लिए वह ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल सिस्टम बेचने का सौदा करने के नजदीक है। एमटीसीआर का सदस्य बनने के बाद यह कार्य और आसान हो गया है। वियतनाम वर्ष 2011 से इस तेज गति की मिसाइल को खरीदने की कोशिश में लगा हुआ है। वह चीन से बचाव के लिए ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल सिस्टम लेना चाहता है। इस अत्याधुनिक मिसाइल सिस्टम को बेचने के लिए भारत की नजर में वियतनाम के अतिरिक्त 15 अन्य देश भी हैं। वियतनाम के बाद फिलहाल जिन चार देशों से बिक्री की बातचीत चल रही है उनमें इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका, चिली और ब्राजील हैं। शेष 11 देशों की सूची में फिलीपींस, मलेशिया, थाईलैंड और संयुक्त अरब अमीरात हैं। उल्लेखनीय है कि इन सभी देशों के साथ दक्षिण चीन सागर मसले पर चीन के साथ तनातनी चल रही है।
दुनिया की सबसे तेज गति वाली मिसाइलों में शामिल ब्रह्मोस मिसाइल सर्वाधिक खतरनाक एवं प्रभावी शस्त्र प्रणाली है। यह न तो राडार की पकड़ में आती है और ना ही दुश्मन इसे बीच में भेद सकता है। एक बार दागने के बाद लक्ष्य की तरफ बढ़ती इस मिसाइल को किसी भी अन्य मिसाइल या हथियार प्रणाली से रोक पाना असंभव है। 300 किलोग्राम वजन के हथियार को ले जाने में सक्षम इस मिसाइल को मोबाइल करियर से भी लांच किया जा सकता है। यह परीक्षण इसी श्रेणी का था। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का परीक्षण पोखरण क्षेत्र में कई बार किया जा चुका है। हालांकि पूर्व में विकसित की गई इस मिसाइल में कुछ सुधार किए गए हैं। वर्तमान में इसकी क्षमता को और बढ़ाया गया है। इस मिसाइल की खासियत यह है कि इसे समुद्र और सतह के साथ हवा से भी दागा जा सकता है। इससे तीनों सेनाओं की ताकत बढ़ गई है।
गत वर्ष सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रrाोस का नौसेना के युद्धपोत आइएनएस कोचि से सफल परीक्षण किया गया था। इस परीक्षण के जरिये युद्धपोत की अत्याधुनिक प्रणाली की क्षमताओं को भी परखा गया। यह ‘एक्सेप्टेंस टेस्ट फायरिंग’ के तहत परीक्षण किया गया था। सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का जून 2014 और फरवरी 2015 में आइएनएस कोलकाता से भी सफल परीक्षण किया जा चुका है। यह अमेरिका की सबसोनिक क्रूज मिसाइल टॉमहॉक से तीन गुना अधिक तेज है। आइएनएस कोलकाता भारतीय नौसेना का अत्यंत शक्तिशाली और नवीन युद्धपोत है। सामान्य तौर पर एक पोत की क्षमता आठ मिसाइलों की होती है, लेकिन आइएनएस कोलकाता 16 ब्रह्मोस मिसाइलें दाग सकता है। इसमें खास तरह के यूनिवर्सल वर्टिकल लांचर डिजाइन का प्रयोग किया गया है, जिसकी सहायता से क्षैतिज रूप में इस मिसाइल से किसी भी दिशा में हमला किया जा सकता है।
जाहिर है कि सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का प्रक्षेपण पनडुब्बी , पोत, विमान या जमीन पर आधारित मोबाइल ऑटोनॉमस लांचर्स से किया जा सकता है। ब्रrाोस के इन संस्करणों में नए सीकर हेड लगे होंगे, जो सटीकता के साथ लक्ष्य को भेदने में सफल होंगे। यह मिसाइल 300 किलोग्राम भार तक का विस्फोटक ले जा सकती है। इसकी अधिकतम गति 2.8 मैक अर्थात ध्वनि की गति से लगभग तीन गुनी अधिक है। ब्रह्मोस मिसाइल ध्वनि की गति से भी तेज चलने वाली है। लंबी दूरी की मारक क्षमता से लैस ब्रह्मोस मिसाइल 200 से 300 किलोग्राम वजन की पारंपरिक युद्धक सामग्री अपने साथ ले जाने में सक्षम है।
सुखोई लड़ाकू विमानों को ब्रह्मोस से लैस करने के परीक्षण में सफल होने पर भारत उन विशिष्ट देशों के क्लब में शामिल हो गया है, जिनके लड़ाकू विमान क्रूज मिसाइलों से लैस हैं। ब्रह्मोस के तीन स्वरूप विकसित किए जा रहे हैं। अब पानी के अंदर और हवा में प्रक्षेपित किए जाने वाले संस्करणों पर काम चल रहा है। अभी यह मिसाइल सेना की दो रेजीमेंटों में पूरी तरह से परिचालन में है। सेना में कार्यात्मक रूप में शामिल ब्रह्मोस के पहले बेड़े में 67 मिसाइलें और पांच मोबाइल ऑटोनॉमस लांचर्स उपकरणों के साथ दो मोबाइल कमांड पोस्ट भी शामिल हैं। सेना ब्रह्मोस ब्लॉक -दो मिसाइलों की दूसरी रेजीमेंट तैयार कर रही है जिसे लैंड अटैक क्रूज मिसाइल के नाम से जाना जाता है। इस मिसाइल को इस प्रकार से तैयार किया गया है कि घनी आबादी में भी छोटे लक्ष्यों को निशाना बनाया जा सकता है। ब्लॉक -दो से आतंकवादी शिविरों समेत बेहद सटीक लक्ष्यों को भी भेदा जा सकता है। यह सर्जिकल स्ट्राइक करने में पूरी तरह से सक्षम है। सेना ने अब तीसरी रेजीमेंट में इसकी तैनाती के लिए उत्पादन संबंधी ऑर्डर दिया है।
ब्लॉक --तीन संस्करण का आधुनिक दिशा-निर्देशों और उन्नत सॉफ्टवेयर के साथ तीन दिसंबर, 2010 को सफल परीक्षण किया गया था जिसमें यह मिसाइल परीक्षण के सभी मापदंडों पर अपनी सटीकता सिद्ध करने सफल रही। इस परीक्षण में विभिन्न बिंदुओं पर इसकी कलाबाजियां सम्मिलित थीं। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के अनुसार इस सफल परीक्षण के बाद भारत पूरे विश्व में एकमात्र ऐसा देश बन गया है, जिसके पास इस तरह की अत्याधुनिक क्रूज मिसाइल है जो ध्वनि की गति से भी तेज गति से मार कर सकती है तथा कठिन से कठिन लक्ष्यों पर भी सटीक निशाना लगा सकती है। इसकी अद्यतन संचालन तकनीक और उन्नत सॉफ्टवेयर ने इसे जमीन से 10 मीटर ऊंचाई पर स्थित लक्ष्य को भेदने में कुशल बना दिया है। इससे सीमा पार के क्षेत्रों में बिना तबाही मचाए आतंकवादी शिविरों को ध्वस्त किया जा सकता है।
(लेखक सैन्य विज्ञान विषय के प्राध्यापक हैं)(DJ)

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